सत्ता की भूख में रमन सिंह पीएससी को बदनाम कर रहे – कांग्रेस
रमन सिंह पीएससी ही नहीं नान घोटाले, चिटफंड घोटाले और पनामा पेपर की जांच के लिये भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखें
रमन बतायें चंद्रशेखर साहू के आरोपों की जांच क्यों नहीं कराया था?
रायपुर/07 अक्टूबर 2023। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा पीएससी के मामले में प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुये प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि सत्ता की भूख में रमन सिंह पीएससी जैसी विश्वसनीय संस्था को बदनाम कर रहे है। राज्य लोक सेवा जैसी संस्था के नाम पर रमन सिंह और भाजपा स्तरहीन राजनीति कर रहे है। पीएससी में गड़बड़ी के कोई भी तथ्य एवं साक्ष्य रमन सिंह के पास नहीं है सिर्फ सरकार को बदनाम करने कुचेस्टा में झूठे आरोप लगा रहे है। रमन सिंह में साहस हो तो वे नान घोटाले, चिटफंड घोटाले और पनामा पेपर घोटाले की जांच के लिये भी प्रधानमंत्री को पत्र लिखे। रमन सिंह के मुख्यमंत्री रहते भाजपा नेता चंद्रशेखर साहू जो उस समय पीएससी के मेंबर भी थे ने प्रेस कांफ्रेस लेकर पीएससी में गड़बड़ी के आरोप लगाया था तब रमन सिंह ने उसकी जांच भी नहीं करवाया था आज गलत आरोप लगाकर सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि अमूमन किसी भी परीक्षा में गड़बड़ियो के यह आरोप लगते है।
ऽ किसी परीक्षा के प्रश्न पत्र लीक हुये हों।
ऽ किसी परीक्षार्थी ने लेनदेन की प्रमाणिक शिकायत किया हो।
ऽ किसी कोचिंग संस्थान के पूर्व अनुमानित प्रश्न पत्रों के सेट से पीएससी के प्रश्न पत्र हू-बहू मिल रहे थे।
ऽ मेरिट में चयनित अभ्यार्थियों के इन्टरव्यू के नंबर लिखित परीक्षा के अंको में बहुत ज्यादा असमानता नजर आ रही थी। चयन का आधार इंटरव्यू के नंबरों की अधिकता हो।
वर्तमान में राज्य लोक सेवा आयोग के परीक्षा परिणामों पर ऐसा कोई भी आरोप नहीं लगा है उसके बावजूद गड़बड़ी के मनगढ़ंत आरोप लगाना भारतीय जनता पार्टी का निम्न स्तरीय हथकंडा है।
ऽ किसी मेरिट में चयनित अभ्यार्थियों के लिखित परीक्षा की अपेक्षा व्यक्तित्व परीक्षण के अचंभित करने वाले या संदेहास्पद नंबर मिले हो तो भी उसके आधार पर चयन सूची पर सवाल खड़ा किया जाये तो भी तार्किफ लगता है।
पीएससी के सफल परीक्षार्थियो की उत्तर पुस्तिका उनकी अंकतालिका पीएससी की वेबसाईट पर सार्वजनिक है। अभ्यर्थी उसको देख सकता है किसी अभ्यर्थी ने कोई भी गड़बड़ी का आरोप नही लगाया है।
रमन बताये पीएससी पर ऐसे कौन से आरोप लगे है लेकिन बिना किसी आधार के राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षा के रिजल्ट में सवाल खड़ा किया जाना भाजपा को मानसिक और राजनैतिक दिवालियेपन को दर्शाता है राज्य के युवा इसको कदापि बर्दास्त नहीं करेंगे।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा के पास पीएससी की चयन सूची में गड़बड़ी के आरोपो का आधार क्या है? सिर्फ यही कि पीएससी में नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बच्चों के कुछ नाम चयनित हो गये है। भाजपा को आपत्ति है कि पीएससी में सगे भाई-बहन, पति-पत्नि का चयन कैसे हो गया?
जबकि परस्पर रिश्तेदारों का चयन किसी अधिकारी के रिश्तेदारो का चयन या व्यवसायी नेता के रिश्तेदारो का चयन पहली बार नहीं हुआ है और न ही यह अपराध और न ही किसी का रिश्तेदार होना अयोग्यता का पैमाना हो जाता है। भारतीय जनता पार्टी के समय भी 2004 से 2021 तक भी परस्पर सबंधियो के चयन होते रहे है। हम इसकी सूची सार्वजनिक कर चुके है।
रमन सिंह ने यह भी आरोप लगाया कि पीएससी ने सबूत मिटाने उत्तर पुस्तिकाओं को नष्ट करने निविदा मंगाया है। जबकि राज्य लोक सेवा आयोग परीक्षा परिणाम के दो साल तक उत्तर पुस्तिका सुरक्षित रखता वर्तमान में भी जो निविदा मंगाया है वह 2020 तक की है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। रमन सिंह बिना तथ्यों के आरोप लगा कर भ्रम फैला रहे है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि इस प्रदेश में भाजपा के 15 सालो तक राज्य लोक सेवा आयोग तत्कालीन मुख्यमंत्री निवास का गुलाम बन गया था। 15 साल में मात्र 9 परीक्षाएं आयोजित हुई थी। रमन राज में पीएससी में गड़बड़ी के प्रमाणित आरोप लगे थे तत्कालीन पीएससी अध्यक्ष अशोक दरबारी को राज्यपाल ने सस्पेंड किया था।
तत्कालीन पीएससी के कार्यवाहक अध्यक्ष खेलनसाय जांगड़े की पुत्री का चयन डिप्टी कलेक्टर के रूप में हुआ था हमने उस पर सवाल नहीं खड़ा किया क्योकि रिश्तेदार होना गड़बड़ी का आधार नहीं माना जा सकता। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने स्पष्ट कहा है कि यदि पीएससी के चयन सूची में गड़बड़ी के कोई भी ठोस आधार साक्ष्य है तो उसको सामने लाये जांच की जायेगी कड़ी कार्यवाही की जायेगी। अपने राजनैतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिये राज्य लोक सेवा आयोग पर सवाल किया जाना सर्वथा अस्वीकार्य है।