रतनपुर के लाल विनोद गुप्ता को सलाम इसरो में दे रहे है अपनी सेवाएं
बिलासपुर- चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद अब देश के साथ-साथ पूरे विश्व की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं. श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से आदित्य-L1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया. आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा .
चांद के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान 3 की ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर इतिहास रचने की दहलीज पर है. अब देश के साथ-साथ विश्व देश की निगाहें ISRO के सूर्य मिशन यानी Aditya-L1 पर टिकी हैं. श्रीहरिकोटा के लॉन्चिंग सेंटर से ISRO के सूर्य मिशन आदित्य-L1 मिशन को आज 11.50 बजे लॉन्च कर दिया गया. आदित्य एल-1 अंतरिक्ष यान को पृथ्वी और सूर्य के बीच की एक फीसदी दूरी तय करके L-1 पॉइंट पर पहुंचा देगा. लॉन्चिंग के ठीक 127 दिन बाद यह अपने पॉइंट L1 तक पहुंचेगा. इस पॉइंट पर पहुंचने के बाद Aditya-L1 बेहद अहम डेटा भेजना शुरू कर देगा
अब से, मिशन अपनी यात्रा शुरू करेगा. यह लगभग 125 दिनों की बहुत लंबी यात्रा है.
इसरो सोलर मिशन से जुड़े साइंटिस्ट विनोद गुप्ता बेंगलुरु को अपनी सेवाएं प्रदान कर रहे है। बिलासपुर से महज 45 किलोमीटर की दूरी पर माँ महामाया की नगरी रतनपुर स्थित गुप्ता परिवार में जन्मे विनोद गुप्ता साल 2006 से इसरो बेंगलुरु में पदस्थ है आज ISRO के प्रथम सूर्य मिशन ‘आदित्य एल-1’ के सफलतापूर्वक लांच पर ISRO के वैज्ञानिकों के साथ इस टीम में प्रमुख रूप से जुड़े है चंद्रयान मिशन की सफलता के 10 दिन के अंदर ही इसरो की इस दूसरी बड़ी सफलता ने देश का मस्तक गर्व से ऊंचा कर दिया है। समूचा देश विदेश इसरो की इस कामयाबी का कायल हुआ वही विनोद गुप्ता ने समूचे विष्व में छत्तीसगढ़ का नाम रौशन किया है श्री विनोद गुप्ता की इस उपलब्धि पर समूचे छत्तीसगढ़ आज गौरवनवीत महसूस कर रहा है श्री आनंद गुप्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि इसरो में पदस्थ श्री विनोद गुप्ता बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी थे उनका मन हमेशा ही देश को ऊँचे शिखर तक ले जाने का था और वह बचपन से ही देश के लिए कुछ कर गुजरने का जज़्बा रखते है उनकी लगन और मेहनत के लोग आज कायल है श्री गुप्ता के पिता श्री सुरेश गुप्ता माता श्रीमती गायत्री गुप्ता की इस कामयाबी के पीछे कड़ी तपस्या थी जो उन्होंने अपने बेटों को इस काबिल बनाया की आज वह देश सेवा में अपनी अग्रणी भूमिका निभा रहा है
वही श्री गुप्त के ईस्ट मित्रो ने उनकी इस सफलता कामयाबी पर अपनी बधाई प्रेषित कर रहे है।।