ओडिशा के बालेश्वर में हुई रेल दुर्घटना में रेल मंत्रालय की घोर लापरवाही दिख रही है
रेल मंत्रालय की लापरवाही से हुई दुर्घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री को इस्तीफा देना चाहिए
रायपुर/03 जून 2023। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने उड़ीसा के बालेश्वर जिले में शुक्रवार को हुई रेल दुर्घटना बेहद दुखद है इस हादसे में जिन्होंने अपनों को खोया है उनके प्रति गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए एवं घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करते हुए कहा कि ओडिशा के बालेश्वर में हुई रेल दुर्घटना रेल मंत्रालय की घोर लापरवाही दिख रही है। एक ही ट्रैक में दो ट्रेनों के आने के चलते गंभीर रेल हादसा हुआ है और हादसा के 1 घंटे बाद तीसरी ट्रेन का उसी स्थान पर आना और, एक और दुर्घटना होना रेल मंत्रालय की घोर लापरवाही को दिखता है। रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव को रेल मंत्रालय के द्वारा बरती गई लापरवाही गैर जिम्मेदाराना रवैया की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। यह बेहद गंभीर मसला है और इस पूरे हादसे की बारीकी से जांच होनी चाहिए और जितने भी लोग इस घटना के लिए दोषी है उन सब पर भी कड़ी कार्यवाही होनी चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल पूछे जो रेल के लिए कवच बनाया गया था जिसमें दावा किया गया था कि 2 ट्रेनें अगर आमने सामने होगी तो कवच उसकी सुरक्षा करेगी वह कवच कहां है? क्या आम जनता को भरमाने के लिए ही इस प्रकार से दावा किया गया जिन ट्रेनों में हादसा हुई क्या उन ट्रेनों में कवच नहीं लगाया गया था? हादसा के 1 घंटे बाद आखिर तीसरी ट्रेन वहां पहुंची कैसे जो दुर्घटना का शिकार हो गई? नरेंद्र मोदी देश की जनता को जवाब देना चाहिए इस रेल हादसे में 300 से अधिक लोगों की जानें गई है, 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं, राष्ट्र की संपत्ति को नुकसान अलग हुआ इसकी नैतिक जिम्मेदारी भी नरेंद्र मोदी की है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि आजादी के बाद से देश की जनता की सेवा कर रहे भारतीय रेलवे को मोदी सरकार ने 9 साल में बर्बाद कर दिया। मोदी सरकार की निजीकरण की चाहत ने रेल को पटरी से उतार दिया है। भारतीय रेलवे की पहली घटना है कि घटना के बाद पुनः उसी स्थान पर दूसरी घटना हो जाती है और यह सब रेल मंत्रालय की लापरवाही से चलते हुआ है मोदी सरकार में रेल मंत्रालय निरंकुश हो गया है आम जनता की सुरक्षा उनके सुविधा का ध्यान नहीं रखा जा रहा है।