शासन प्रशासन से जांच की मांग अवैध अनशन कारियों पर हो प्रशासनिक कार्यवाही।
मामला कोल वाशरी इंदिरा नगर का।
शहडोल (बृजेंद्र मिश्रा,) विदित हो कि कई दशकों पूर्व रेलवे साइडिंग अमलाई का निर्माण कोयला एवं अन्य कच्चा मार्लों को लेकर रेल परिवहन के माध्यम से रैक के द्वारा साउथ ईस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड सोहागपुर क्षेत्र एवं कागज कारखाना ओरियंट पेपर मिल सहयोग उद्योग सोडा कास्टिक यूनिट हुकुमचंद जूट इंडस्ट्रीज पूर्व नाम वर्तमान में ओरियंट पेपर मिल कागज कारखाना के संबद्ध है जिनके द्वारा बरसों पहले रेलवे के प्लेटफार्म नंबर एक को उद्योग कार्य के लिए लीज पर लिया गया तत्पश्चात निरंतर यह प्रक्रिया चलती रही है बाद में लीज समाप्ति के बाद रेलवे की संपत्ति की वापसी हो गई तदुपरांत आज ही रेलवे के द्वारा रेलवे साइडिंग में कोयले के मालवाहक गाड़ी लोड होते हैं उससे पूर्व यहां पर किसी भी प्रकार से इस वन भूमि और रेलवे की भूमि पर किसी भी प्रकार का कोई मकान या भवन नहीं बना हुआ था यह ओरियंट पेपर मिल के स्वामित्व की भूमि रही है साथी साथ ही इसे झुड़पी जंगल के नाम से जाना जाता था किंतु कुछ समय बाद यहां पर कुछ लोगों के द्वारा अवैध रूप से रहने के लिए मकान व भवन का निर्माण किया जाना शुरू हुआ इन से पूर्व में ही यहां से पीडब्ल्यूडी की मुख्य सड़क शहडोल से अनूपपुर जाती थी और इससे पूर्व भी यहां पर डामरीकरण सड़क नहीं था बल्कि गिट्टी डालकर बनाया गया था और बहुतायत मात्रा में धूल डस्ट उड़ते रहे हैं किंतु किसी के भी द्वारा रेलवे की लोडिंग साइड पर किसी तरह से विरोध प्रदर्शन नहीं किया गया। क्योंकि स्वयं रेलवे की संपत्ति पर और उसकी भूमि पर अवैध कब्जा करके झोपड़ी बनाकर बाद में भव्य एवं आलीशान मकान का निर्माण किया गया जो आज भी पूर्ण रूप से बिना भूमि स्वामित्व पट्टा के निवासरत है जहां तक बात सड़क में धूल और डस्ट उड़ने की है तो धनपुरी नगरपालिका, बुढार नगर पंचायत बकहो, नगर परिषद बरगवां अमलाई, मध्य प्रदेश विद्युत मंडल चचाई पूरा का पूरा क्षेत्र आज से नहीं 10 दशकों से हवा में पानी में भूमि में और वातावरण में धूल डस्ट एवं प्रदूषण का दंश झेल रहा है दूसरी नजर से देखा जाए तो कोयला खदानों और औद्योगिक इकाइयों ने कार्य कर रहे हजारों की संख्या में मजदूर और उनका परिवार रोजी रोजगार के लिए कार्यरत है और अपना और अपने परिवार का उदर पोषण कर रहे हैं इस बात से कोई भी नहीं नकार सकता की विज्ञान का प्रभाव जितना सुखद होता है उतना ही दुखद भी होता है बेबुनियाद तरीके और शासन प्रशासन के बनाए नियम कायदों को तोड़कर जबरिया चक्का जाम हड़ताल अनशन इन आंदोलनकारियों के ऊपर जिनके द्वारा शासन-प्रशासन चाहे रेलवे हो या फिर औद्योगिक इकाइयां इनको होने वाली क्षति की जिम्मेदारी से इन्हें परहेज है ऐसे लोगों पर शासन के द्वारा जिनके द्वारा एमपीआरडीसी मुख्य मार्ग की सरहद में या फिर कहें पचासा के अंदर भव्य एवं आलीशान मकान निर्माण करने वालों के ऊपर व्यापक रूप से कार्यवाही का होना अत्यंत आवश्यक है।