नदी बचाने संकल्प के साथ सामूहिक शंखनाद: वैश्विक अभिलेख में दर्ज शंखनाद आह्नान है देश दुनिया को कुंभ की दिव्यता और पवित्रता से साक्षात्कार कराने
रायपुर, राजिम की पवित्र तीन नदियों के संगम पर प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला कुंभ कल्प में इस वर्ष तीन विशेष सोपानों का अद्भुत संगम किया गया है। जिसका उद््देश्य और संदेश छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक, धार्मिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संस्कृति को ऊंचाई प्रदान करते हुए नदियों का संरक्षण करना है, ताकि प्रदेशवासी सुख समृृध्दि और उन्नति की ओर सदैव अग्रसर रहे। आज जानकी जयंती के अवसर पर प्रदेश के प्रसिध्द मंदिरों के पुजारियों एवं प्रदेशवासियों द्वारा 21 सौ से अधिक शंखो का सामूहिक शंखनाद किया गया, जो नदी बचाने के संकल्प को लेकर कुंभ की दिव्यता, भव्यता और पवित्रता का देश दुनिया से साक्षात्कार करवाया।
इस अवसर पर प्रदेश के धर्मस्वमंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि शंखनाद के माध्यम से एक संकल्प बल प्राप्त करने का दिन है। वेद पुराणों में भी बताया गया है कि समुद्र मंथन से पांचजन्य शंख प्राप्त हुआ था, जो सुख-समृद्धि और संकल्प का प्रतिक है। आज मंदिरों के पुजारी, राजिम एवं प्रदेशवासी द्वारा 15 सौ शंखों का सामुहिक शंखनाद किया जाना प्रस्तावित था, परंतु 21 सौ लोगों द्वारा एक साथ शंखनाद करना एक नए संकल्प एवं संभावना का प्रतीक बनकर वैश्विक अभिलेख में दर्ज हो गया है। उन्होंने कहा कि नदियों को बचाने, धर्म की रक्षा करने के लिए सामूहिक शंखनाद किया गया है। धर्मस्व सचिव सोनमणी बोरा ने बताया कि जानकी जयंती के शुभ अवसर पर नदी बचाओं अभियान के तहत् यह शंखनाद का आयोजन किया गया है। जिस तरह किसी शुभ कार्य के लिए शंख बजाकर शुभारंभ किया जाता है। उसी तरह नदी बचाने के संकल्प को लेकर यह शंखनाद किया गया है।
10 राउण्ड में हुआ शंखनाद
गंगा आरती के पावन घाट पर 10 राउण्ड में सामूहिक शंखनाद हुआ। प्रथम 6 राउण्ड बैठकर शंखनाद किया गया, वहीं 7 से दसवें राउण्ड तक खड़े होकर शंखनाद किया गया। गंगा आरती के दौरान भी शिव तांडव के अवसर पर भी शंखनाद किया गया।
सामूहिक शंखनाद को मिला गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड
सामूहिक शंखनाद को गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड के एशिया हेड डॉ मनीष बिश्नोई से इसका प्रमाणपत्र धर्मस्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और धर्मस्व जल संसाधन सचिव सोनमणी वोरा को प्रदान की गई। डॉ. मनीष ने इस अवसर पर कहा कि यह कार्यक्रम अद्भूत अविश्वसनीय और दिव्य था। वास्तव में यह शंखनाद नहीं महाशंखनाद था, जिसमें लक्ष्य से अधिक 21 सौ से अधिक शंखों का शंखनाद किया गया, जिसे गोल्डन बुक ऑफ रिकार्ड में दर्ज किया गया। इस दौरान महांडलेश्वरों, साधु-महात्माओं सहित राजिम विधायक संतोष उपाध्याय के अलावा स्थानीय नागरिक एवं श्रद्धालुगण उपस्थित थे। रिकार्ड के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेशवासियों को बधाई देते हुए शुभकामनाएं दी है।