जिन्हें एक परिवार पसंद वह अखंड भारत का मतलब ही नहीं जानते : संजय श्रीवास्तव
रायपुर। भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री बघेल को राष्ट्र के गौरवमयी इतिहास का पता ही नहीं है इसलिए वह कुछ भी कह जाते है। देश की विभाजन के लिए कौन जिम्मेदार है देश भलिभांति जानती है।
स्वतंत्रता से पहले ही देश का विभाजन का स्वरूप कांग्रेस ने बना लिया था। द्विराष्ट्रवाद की परिकल्पना 1916 में कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में लिया गया था जिसके तहत मुस्लिमों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्र की बात कही गई थी उस समय के कांग्रेस अधिवेशन के अध्यक्ष अंबिकाचरण मजूमदार थे।
इसी बात के लिए मुस्लिम लीग से कांग्रेस ने समझौता किया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के अधिवेशन में लिए गए फैसले से ही आगे चलकर पाकिस्तान व बांग्लादेश बना और इस तरह से देश के बंटवारे के लिए आरएसएस को जिम्मेदार ठहराना उनके सनातनी समाज के विरोधी मानसिकता को दर्शाता है। जब 1916 में ही द्विराष्ट्र का संकल्प कांग्रेस ने ले लिया था। उस समय आरएसएस की स्थापना भी नहीं हुई थी आरएसएस का स्थापना काल ही 1925 है।
आरएसएस का गौरवमयी इतिहास रहा है और वर्तमान और भविष्य भी गौरवमयी है। जंगल सत्याग्रह 1930 में संचालित की गई थी डॉ. हेडगेवाड़ को 9 महीनों तक जेल में रखा गया था। 1942 में डी. बाला रायपुरकर तिरंगा फहराते समय शहीद हो गए। 1942 में दादा नाईक को अंग्रेजों ने मौत की सजा दी थी ये सब संघ के कार्यकर्ता थे। ऐसे कई कार्यकर्ता है जिन्होंने राष्ट्र में सनातनी समाज की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।
उन्होंने कहा कि 1871 में ही सैय्यद अहमद के समय ही इस बात की चर्चा होने लगी थी कि एक अलग राष्ट्र मुस्लिमों के लिए बनाया जाए जिस काल की बात है उस समय वीर सावरकर जी का जन्म ही नहीं हुआ था। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को एक बार कांग्रेस के इतिहास का अध्ययन करना चाहिए।
प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा कि अखंड भारत का हम सबके संकल्प का राष्ट्र है जिसके लिए हमारे अपनों ने जो बलिदान दिया है वह सदैव स्मरणीय रहेगा। हम समाज जीवन में समग्रता के आधार पर चलते है लेकिन वहीं कांग्रेस की नीति देश की आजादी के बाद एक परिवार को ही समर्पित रही है। जिसे लेकर पूरा कांग्रेस का संगठन, पदाधिकारी समर्पित रहता है। ऐसे संगठन से जुड़े मुख्यमंत्री भूपेश बघेल किस आधार पर कहते हैं कि अखंड भारत का सपना नहीं देखना चाहिए। शायद यह उनकी व्यक्तिगत सोच है जिससे हम इत्तेफाक नहीं रखते।