कुष्ठ रोगियों की खोज के लिए स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान शुरू : तेरह फरवरी तक चलेगा अभियान

रायपुर, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा छत्तीसगढ़ में कुष्ठ रोगियों को खोजने के लिए 30 जनवरी से 13 फरवरी तक स्पर्श कुष्ठ जागरूकता पखवाड़ा दिवस मनाया रहा है। पखवाड़े के तहत आम लोगों में कुष्ठ के प्रति जागरूकता लाने के लिए स्कूली बच्चों एवं नर्सिंग छात्राओं की रैली भी निकाली जा रही है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने आज यहां बताया कि कुष्ठ रोग माईक्रोबैक्टीरिया लेप्री और लेप्रोमेटासिस जीवाणु के कारण होता है। कुष्ठ रोग किसी को भी हो सकता है। एमडीटी की दवा से कुष्ठ रोग का इलाज संभव है। अधिकारियो ने बताया कि कुष्ठ रोग के लक्षण चमड़ी में तेलिया-तामिया चमक हों, चमड़ी पर खासकर चेहरे पर, भौंहे के उपर, ठोड़ी पर कानों के पीछे सूजन-मोटापन, गांठे हों, तंत्रिकाओं/दागों में सुन्नपन-मोटापन-सूजन हों, दबाने से दर्द होता हो, हाथ पैरों में झुनझुनी-सुन्नपन हो । उन्होंने आगे बताया कि कुष्ठ रोगियों को छूने, साथ बैठकर खाना खाने, साथ में घूमने, साथ में स्नान करने से कुष्ठ रोग एक से दूसरे में नहीं फैलता।
अधिकारियो ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य में वर्ष 2005 में वार्षिक नये रोगी खोज दर प्रति एक लाख जनसंख्या में 59 थी एवं प्रभाव दर 3.60 प्रति दस हजार जनसंख्या पर थी, जो घटकर मार्च 2017 में वार्षिक नये रोगी खोज दर 45.55 प्रति एक लाख जनसंख्या हो गई है तथा प्रभाव दर मार्च 2017 में 2.63 प्रति दस हजार है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बहुऔषधि उपचार के तहत कुष्ठ रोगियों को नियमित उपचार निःशुल्क दिया जा रहा है। कुष्ठ प्रभावितों को खोज कर एमडीटी उपचार किया जा रहा है। प्रदेश में गत वर्ष 2017 में 12,609 कुष्ठ रोगियों की पहचान की गई है। इनमें से 12,081 कुष्ठ रोगी दवा खाकर कुष्ठ मुक्त हो चुके हैं तथा शेष रोगियों का इलाज जारी है।