जीएसटी के कारण कैंसर की दवाइयां और जीवन रक्षक दवाइयां महंगी हुई-कांग्रेस
जीएसटी से रोजमर्रा के सामान और उपयोगी सामान महंगे
अनब्रांडेड खाद्यान्नों पर जीएसटी लगाना मध्यमवर्गीय परिवारों पर बेरहमी
रायपुर/06 जुलाई 2022। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार के वन नेशन वन टैक्स जीएसटी यानि गब्बर सिंह टैक्स लागू होने के पहले के जो आवश्यक वस्तुओं के दाम थे उसमें गब्बर सिंह टैक्स लागू होने के बाद भारी बढ़ोत्तरी हुई है। 23 रू. किलो का आटा 30 रू. किलो मिल रहा है। कैंसर बीमारी में उपयोग होने वाली जीवन रक्षक दवाई ब्रोटोजोमाइट जिसकी कीमत 11,160 रु. थी वो गब्बर सिंह टैक्स लगने के बाद 17 हजार रुपये में मिल रही है। डोलो क्रोसिन जिसकी कीमत 14 रु. पर स्ट्रिप था वो अब 20 रु. में मिल रही है। 60 रु किलो का डिटर्जेंट पाउडर 100 रू. प्रति किलो मिल रहा है, 400 रू. की चप्पल 500 रू. मिल रहा है, 105 रू. किलो की कुकिंग ऑयल 216 रू़ किलो मिल रहा है। कॉटन शर्ट रेडीमेड जो नॉर्मल एवरेज 550 में प्रति यूनिट था आज 700 रु. हो गया है, साबुन की टिकिया 16.50 रू. पैसे से बढ़कर 30 रू. हो गया है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि जीएसटी लागू करने के दौरान जिस प्रकार से मोदी भाजपा की सरकार ने जो बड़े-बड़े दावे किए थे देश में आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में एकरूपता और सस्ती होने की बात कही गई थी वह कहीं पर नजर नहीं आ रही है। मोदी सरकार की गलत नीतियों के चलते देश में महंगाई चरम सीमा पर है। लोग रोजगार के संकट से जूझ रहे हैं। व्यापार-व्यवसाय तबाह हो रहा है और देश की जनता का ध्यान इन प्रमुख मुद्दों से भटकाने के लिए भाजपा और उसके अनुवांशिक संगठन धर्म से धर्म को लड़ा कर उन्माद फैलाकर राजनीति कर रहे हैं। देश की जनता भाजपा के इस चरित्र को देख रही है और जीएसटी लगने के बाद एक चलता फिरता देश आज स्थिर हो गया है। अर्थव्यवस्था गर्त पर चली गई है। सरकारी कंपनियां बिक रही है। लोग महंगाई से परेशान हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मुनाफाखोर मोदी सरकार जनता पर असहनीय और अभूतपूर्व महंगाई का बोझ डालने के बावजूद संतुष्ट नहीं है। अभी तक केवल ब्रांडेड चावल और आटे पर जीएसटी लगता था लेकिन अब मोदी सरकार थैली बंद अनब्रांडेड गेहूं, चावल, आटा, दाल जैसे आवश्यक खाद्यान्नों को जीएसटी के दायरे में लाने की तैयारी कर रही है। अब जनता को इन खाद्यान्न पर 5 प्रतिशत जीएसटी का भुगतान करना होगा। सरकारी प्रावधानों के मुताबिक व्यापारी खाद्यान्नों को खुले में नहीं बेंच सकते उनकी पैकिंग जरूरी है। इस तानाशाही निर्णय के कारण मध्यम वर्गीय और गरीब परिवारों पर अनावश्यक बोझ बढ़ेगा। जीएसटी काउंसिल की बैठक में लिया गया यह निर्णय आम जनता के मुंह से निवाला छीनने वाला निर्णय है। इस निर्णय से देश की 6500 मंडियों पर भी बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। हर महीने जीएसटी का संग्रह बढ़ रहा है। जून महीने में रिकॉर्ड वसूली हुई है मगर फिर भी मोदी सरकार की भूख खत्म होने का नाम नहीं ले रही है। मोदी सरकार के चाल चलन से यह स्पष्ट हो चुका है कि उसकी प्राथमिकता में गरीब, किसान और बेरोजगार नहीं बल्कि उद्योगपति, मुनाफाखोरी और व्यापार है। जब से केंद्र में मोदी सरकार आई है तब से उद्योगपतियों और व्यापारियों को लाभ पहुंचाने के लिए संविधान और आम लोगों के जनजीवन को बर्बाद करने का काम कर रही है। देश में थोक महंगाई दर 15.9 प्रतिशत और खुदरा महंगाई दर 12.3 प्रतिशत के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुकी है। सरकार लगातार पहले से ही बदहाल जनता से बुनियादी जरूरतों को छीनने का प्रयास रही है।