कीचड़ से सराबोर अर्जुनी का साप्ताहिक बाजार , सुध लेने वाला कोई नही
अर्जुनी – 5000 से अधिक आबादी वाला ग्राम अर्जुनी अपने बदहाली पर रो रहा है जिसका कारण है उदाशीन जनप्रतिधियों की कार्यप्रणाली यंहा विकास के दावों के नाम पर तो जनप्रतिनिधी तो बदल जाते है लेकिन गांव की तश्वीर,दशा दिशा नही बदलती विकास के नाम पर पांच वर्षों में लाखों करोड़ों रुपयों का बंदरबाट किया जाता है लेकिन विकास किस चिड़िया का नाम है ग्रामीणों को अब तक पता नही , बात सीसी रोड की करें या जल नल या और कोई योजना धरातल में सबका हाल बेहाल है नल है पर जल नही, रोड है पर हो भी डगमग बाजार है पर व्यवस्था बेहाल मजाल है कि कोई इस बारे में गांव के हुक्मरानाओं से पूछ लें या शिकायत कर ले ,दुश्मन ना बना ले उन्हें बात करे मौजूदा बेहाल सब्जी बाजार गंदगी कीचड़ से अस्त व्यस्त है, पहली बारिश से ही जनाब के विकास की गाथा का नगाड़ा बज गया और खुल गई विकास की पोल अर्जुनी के साप्ताहिक बाजार में 10 गांवों के लोग जिसमे रवान, मानव कॉलोनी,भद्रापाली, खैरताल नवागांव,टोपा,टोनाटार इत्यादि गांव के ग्रामीण सब्जी खरीदारी के लिए आते हैं।बाजार चौक में पानी भरा हुआ है लोग मजबूर है और तो और सब्जी विक्रेता पेट पालने की विवशता के चलते सब्जी विक्रेता बरसात में भी खुले आसमान के नीचे बैठने मजबूर हैं। ग्राहक भी कीचड़ और गंदगी से लथपथ अवस्था में ही सब्जी खरीदते हैं क्योंकि बाजार की सड़कों का कांक्रीटीकरण भी नहीं किया गया है। मामले में जिम्मेदार जनप्रतिनिधि उदासीन बने हुए हैं। गाव के जिम्मेदार जनप्रतिनिधि कोई तरह से ध्यान नहीं दिया जा रहा बमुश्किल ग्रामीण बरसात के कीचड़ में उहापोह बदबूदार कीचड़ में बाजार करने मजबूर है गांव की बी हालात यदा कदा ऐसी ही है।