गुणवत्ताहीन विकास कार्यों में, मुख्य कार्यपालन अधिकारी के सने हाथ
मैनेजमेंट में अव्वल, कार्य में पिछड़े।
बुढ़ार /- हमेशा से हि जनपद बूढ़ार, भ्रष्टाचार
घोटाले, अनियमितता के लिए मशहूर है, इतना ही नहीं पंचायतों में मैनेजमेंट का कारनामा जो इन दिनों सुनने में आ रहा है, इस पर भी अब कुछ बोलना बाकी नहीं रह गया है, तथाकथित लोगों ने भी जानकारी दी है कि पंचायतों में हो रहे विभिन्न निर्माण कार्यों के लिए, जनपद बुढ़ार, का कमीशन तय है, इसके साथ साथ पंचायतों में होने वाले भ्रष्टाचार को छिपाने, शिकायत एवं फाइलों को रोकने के लिए भी, जनपद के भ्रष्टाचारी बाबू जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी से, सेटिंग एवं मैनेजमेंट तय कराते हैं।। इतना ही नहीं 102 पंचायतों की मिली जिम्मेदारी, एवं करोड़ों के हो रहे भुगतान में, लाखों का भ्रष्टाचार, एवं आपसी बंदरबांट, मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित जनपद बूढ़ार, बाबूओ के मध्य हो जाता है।।
विकास कार्यों की अनदेखी।
मामले के संबंध बता दे तो कई ग्रामीणों ने बताया है कि, तथाकथित मुख्य कार्यपालन अधिकारी विकास कार्य की अनदेखी कर रहे हैं, साथ ही साथ पंचायतों में होने वाले निर्माण कार्यों में ग्राम प्रशासन भ्रष्टाचार पर भ्रष्टाचार करता ही जा रहा है ग्रामीणों द्वारा शिकायत भी सौंपी जाती है इतना ही नहीं पुष्ट सूचनाओं के साथ तथाकथित मुख्य कार्यपालन अधिकारी को बताया भी जाता है मगर इसका, पर्दाफाश करने में, जनपद मुख्यालय कार्यपालन अधिकारी अपना मुंह छुपाते हैं।
इतना ही नहीं, भ्रष्टाचार में इनकी संलिप्तता निश्चित रूप से हो सकती है नहीं तो पुष्ट सूचनाओं के साथ अगर शिकायत किया जाता है तो उसका निराकरण भी जल्द हो जाना चाहिए मगर मुख्य कार्यपालन अधिकारी, अपने निजी स्वार्थ के चलते, ग्राम प्रशासन के पंचायत कर्मियों को संरक्षण दे रहे हैं।।
मिला राजनैतिक संरक्षण।
राजनैतिक संरक्षण के ही दम पर आज बुढार जनपद में तथाकथित मुख्य कार्यपालन अधिकारी आ चूका है, इतना ही नहीं, कई लोगों ने बताया कि भी यह स्वयंसेवक संघ से भी जुड़े हुए हैं, इसका मतलब साफ-साफ निकल रहा है कि संघ के बदौलत , सत्ता से राजनैतिक संरक्षण प्राप्त है, जिसके दम पर आज लाखों रुपए के भ्रष्टाचार में संलिप्तता के साथ साथ हैं आपसी बंदरबांट एवं भ्रष्टाचारीयो को खुला संरक्षण भी दिया जा रहा है, इतना ही नहीं भविष्य में होने वाले पंचायत निर्वाचन में आपसी मिलीभगत के साथ-साथ पंचायत निर्वाचन में इनकी दखल अंदाजी भी हो सकती है इतना ही नहीं सरपंचों से मिलीभगत से यह मनमाने रूप से, अपने आदमीयो को प्रत्याशी नियुक्त करने में भी पूरी कोशिश करेंगे।।
रोजगार गारंटी एवम मनरेगा।
केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा चलाए गए रोजगार गारंटी मनरेगा योजना के अंतर्गत भ्रष्टाचार के साथ-साथ अनियमितताएं तूल पकड़ती जा रही हैं, मगर जनपद सीईओ कुंभकरण की निद्रा में चिर विलीन है, जबकि सरकार ने स्पष्ट रूप से ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा के कार्यों को निपटाने के साथ साथ ग्रामीण वासियों को रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कार्य दिलाना आवश्यक कर दिया गया है, मगर तथाकथित व्यक्ति द्वारा सारे नियम एवं कानून की धज्जियां उड़ा दी गई, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार गारंटी योजना के अंतर्गत कई युवा एवं ग्रामीण वासी छूट जा रहे है इतना ही नही पंचायत कर्मियों द्वारा विभिन्न निर्माण कार्य मे मशीनों का उपयोग कर लोगों को कार्य नहीं दिया जा रहा, और यह सब जानने के बावजूद में जनपद सीईओ हाथ में हाथ धरे बैठे हैं, कई ग्रामीण वासियों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया है कि कई महीनों से ग्रामीण वासियों को कार्य नहीं मिला है, कार्यों की मांग करने पर, पंचायत कर्मियों से कहा भी जाता है , मगर पंचायत में कार्य ना होने का बहाना पंचायत कर्मी करते हैं, तो वही कुछ दिनों बाद मशीनों से कार्य को कराया जाता है।
16 लाख का कमीशन।
गत दिनों 102 पंचायतों में दो करोड़ के विकास कार्य हेतु स्वीकृति प्रदान की गई थी जिसमें आठ परसेंट की दर से 1600000 रुपए का कमीशन जनपद बुढ़ार के भ्रष्टाचारी बाबू एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी के, बीच बट गया, इस जानकारी की भनक एवं चर्चाओं के बाद भी वरिष्ठ अधिकारी कार्यवाही पर नहीं उतरे, तो दूसरी तरफ विकास कार्य हेतु जनपद बुढ़ार में एक समिति भी बनी हुई है जिसकी निगरानी में विकास कार्य हेतु पैसों का भुगतान करना होता है मगर समिति के बैठक के बिना ही विकास कार्य को स्वीकृति दे दी गई और पैसों का भुगतान भी कर दिया, मामले के संबंध में अगर पूछा भी गया तो मुख्य कार्यपालन अधिकारी बचते फिर रहे थे।।