मोदी सरकार की लापरवाही के कारण देश में अभूतपूर्व कोयला संकट – कांग्रेस
राज्यों पर विदेश से कोयला खरीदने का दबाव से बिजली चार गुना महंगी हो जायेगी
रायपुर/ 22 अप्रैल 2022। मोदी सरकार की लापरवाही के कारण देश अभूतपूर्व कोयला के संकट से जूझ रहा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि कोयलें की कमी का हल नहीं निकाला गया तो सारे देश में बिजली संकट और ब्लेक आऊट की स्थिति हो जायेगी। दुर्भाग्य जनक है कि कोयला संकट में केन्द्र सरकार कुंभकर्णी निद्रा में सोई हुयी है। देश भर के पावर प्लांटों के पास बमुश्किल से 10 प्रतिशत अर्थात एक सप्ताह से भी कम कोयला नहीं बचा है। रोलिंग मिल, सीमेंट कंपनिया सहित तमाम उद्योगो कायेले के संकट के कारण बंदी के कागार पर खड़े है। देश के अनेक राज्यों में थर्मल पावर स्टेशन कोयला न मिलने के कारण बंद हो गये है। एसईसीएल ने छत्तीसगढ़ में भी नान पावर सेक्टर के उद्योगो के कोयले की आपूर्ति में कटौती कर दिया है। इसके कारण राज्य के छोटे और मझोले. उद्योग भी अभूतपूर्व कोयले के संकट से परेशानी में है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा कि मोदी सरकार देश को चलाने में असफल साबित हो रही है। मोदी सरकार देश की अब तक की सबसे अकर्मण्य सरकार है। इनके पास देश के विकास का न कोई विजन है और न ही कोई कार्य योजना। आजादी के बाद देश में इस तरह का कोयला संकट कभी नहीं आया। हमारे पास दुनिया का एक तिहाई कोल भंडार है। पूर्ववर्ती सरकारों ने देश की आवश्यकता के अनुरूप कोयले की उत्खनन पर जोर दिया। यही कारण है कि भारत को अपने घरेलू आवश्यकतओं की आपूर्ती के लिये कभी परेशानी नहीं हुई। मोदी सरकार ने 7 साल में कोल उत्पादन और उत्खनन के लिये कोई ठोस कार्ययोजना नहीं बनाया। यूपीए सरकार को कोल आंबटन का झूठा आरोप लगाकर बदनाम कर सत्ता में आई मोदी सरकार खुद कोल ब्लाक आबंटन के लिये नीति नहीं बना पाई हमेशा से दिग्भ्रमित रही है। उसका खामियाजा अब देश को उठाना पड़ रहा है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने कहा है कि मोदी सरकार ने राज्यों के विद्युत उत्पादन ईकाईयों से कहा है कि वे अपने विद्युत उत्पादन में 15 से 20 प्रतिशत हिस्सा आयातित कोयला विद्युत उपयोग करें। देश में उत्पादित कोयला विद्युत कंपनियों को लगभग 4 हजार रू. प्रति टन पड़ता है। विदेशो से आयातित कोयले की कीमत 20 हजार रू. प्रति टन के लगभग बैठती है। देशो कोयले से विदेशी को विदेशी कोयले की कीमत चार गुना से भी अधिक है। ऐसे में राज्यों के द्वारा उत्पादित किये जाने वाली बिजली की उत्पादन लागत भी चार गुना तक बढ़ जायेगा। मोदी सरकार की इस नीति के कारण जनता को चार गुना तक महंगी बिजली मिलेगी।