राजिम मेले के दूसरे दिन धनजी के डंडा नृत्य ने रंग जमाया
राजिम। माघी पुन्नी मेला के दूसरे दिन सांस्कृतिक मंच क्रमांक-02 पर छत्तीसगढ की लोक सांस्कृति सुबह 11 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक मानव मंच पर ही उतर आयी थी। लोकधुन एवं लोककला की जुगलबंदी देखते ही बन रही थी। मगरलोड के भुनेश्वरी ठाकुर के जय मां शारदा महिला मानस मण्डली ने रामायण के प्र्र्रसंगो पर व्यांख्यान दिया तथा धार्मिक भजनो को सुनकर लोग झुमते रहे। फूलझर छुरा के धनजी राम ने डंडा नृत्य प्रस्तुत किया।
छत्तीसगढ़ी वेशभुषा में गांव के यह कलाकार सामांजस्य बिठाते हुए डंडे लेकर पैर उठाये और हाथो मे पकड़े डंडे को एक दूसरे में टच किया तो मधुर आवाज पुरेे मंच पर गुंजने लगी। बता देना जरूरी है कि वर्तमान मे डंडा नृत्य के कलाकार विरले ही देखने को मिलता है लुप्त हो रहे इस विधा को छत्तीसगढ शासन के संस्कृति विभाग ने इस मंच के माध्यम से सामने लाने का काम किया, जिसका आम जनता ने प्रशंसा की है। टोकरो अभनपुर के जगराता ग्रुप के गायक डोमेश सेन एवं सुखदेव साहू ने धार्मिक भजनो से अनोखी छाप छोड़ी।
बेेमेतरा के रामेश्वर देवांगन ने फाग मण्डली के माध्यम से होली गीतो की बौछार कर दी। नंगाड़े की धुन एवं राजीवलोचन की जयकारा मौहोल को भक्तिमय बना दिया। बरभंाठा महासमुंद शिवा सुरदास के लोकरागिनी मानस परिवार के रामायण प्रस्तुति को लोग घंटे सुनते रहे। मंच संचालक मनोज सेन ने किया। संयोजक पुरूषोत्तम चंद्राकर ने बताया कि 18 फरवरी को रामायण जय लक्ष्मीनारायण मानस परिवार चैबेबांधा दीपक श्रीवास, फाग मण्डली रामेश्वर देवांगन बेमेतरा आदिवासी नृत्य प्रेम यादव गरियाबंद, पंडवानी पुनाबाई बंसोड़ पाण्डुका, जगराता रूपेन्द्र साहू सुरसाबांधा की प्रस्तुति होगी।