हज पर सब्सिडी पूरी तरह खत्म
सब्सिडी की राशि अल्पंसख्यक महिलाओं की शिक्षा पर खर्च होगी
नई दिल्ली। सरकार ने हज पर दी जाने वाली वाली सब्सिडी इसी साल से खत्म कर दी है, यानी 2018 से हज पर जाने वालों को पूरा खर्च खुद ही वहन करना होगा। केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि हर किसी की ख्वाहिश होती है कि वह हज अपनी गाढ़ी कमाई से करे। और सरकार तुष्टीकरण के बिना पूरे सम्मान के साथ अल्पसंख्यकों का सशक्तिकरण चाहती है। इसीलिए सब्सिडी के रूप में जा रही लगभग 700 करोड़ की राशि अल्पंसख्यक महिलाओं की शिक्षा पर खर्च होगी।
यूं तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार 2022 तक हज सब्सिडी खत्म करना ही था। केंद्र सरकार ने निर्णय ले लिया है कि यह इसी साल से खत्म होगा। नकवी ने इसकी जानकारी देते हुए कहा कि सब्सिडी का लाभ वैसे भी हाजियों को पूरी तरह नहीं मिलता था और वह चाहें तो अभी भी कम किराये में हज पर जा सकते हैं। इसी कारण यह शर्त हटा ली गई है कि कौन से राज्य के हाजी कहां से सउदी जाएंगे।
अब यह उनकी मर्जी पर है कि वह दिल्ली से जाना चाहते हैं या मुंबई या किसी और जगह से। ध्यान रहे कि अलग-अलग स्थानों से किराया भी अलग-अलग है। जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों की तुलना में दिल्ली और मुंबई से किराया लगभग आधा है। मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि पिछले दो साल में केंद्र सरकार की कोशिशों की वजह से न सिर्फ हज कोटा में लगभग 40 हजार की बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि आजादी के बाद से अब पहली बार सबसे बड़ा भारतीय जत्था हज पर जाएगा।
नकवी ने बताया कि यही सम्मान के साथ विकास की बात है। इरादा नेक है इसीलिए पानी के जहाज से यात्रा का भी इंतजाम किया जा रहा है। सउदी सरकार से इसकी अनुमति मिल गई है। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि चार लाख लोगों ने आवेदन दिया था, जिसमें 1.75 लाख को लाटरी से चुना जाएगा। 13 हजार ऐसी महिलाएं है जो बिना किसी पुरुष साथी के हज पर जा रही हैं। उन्हें लाटरी से मुक्ति दी गई है। साथ ही उनकी सुविधा के लिए दोनों स्थानों पर महिला सुपरवाइजर होंगी। मक्का और मदीने में उनके रहने के लिए भी अलग से व्यवस्था की जा रही है