December 14, 2025

आदिवासी कला-संस्कृति के प्रदर्शन के साथ ट्रांसजेंन्डर्स का रैम्प वॉक

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आदिवासी कला-संस्कृति के प्रदर्शन के साथ ट्रांसजेंन्डर्स का रैम्प वॉक

रायपुर, 14 फरवरी 2022 : तृतीय लिंग के व्यक्तियों (ट्रांसजेंडर्स) के प्रति समाज में सकारात्मक वातावरण बनाने और जागरूकता लाने नक्सल प्रभावित वनांचल बस्तर संभाग में अनूठा फैशन शो आयोजित किया गया। समाज कल्याण विभाग द्वारा चेतना फाउंडेशन के सहयोग से जगदलपुर के आर्ट गैलरी में शनिवार शाम आयोजित इस कार्यक्रम में कांकेर, कोण्डागांव और बस्तर के 32 ट्रांसजेंडर्स शामिल हुए। उन्होंने बस्तर की संस्कृति, परिधान और आभूषणों को प्रदर्शित करते हुए उत्साह से रैम्प वॉक किया। इस अवसर पर ट्रांसजेंडर्स ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया। आयोजन ने समाज से कटे रहने वाले किन्नर समाज को लोगो सेेे घुलने-मिलने और समावेशित होने का अच्छा अवसर प्रदान किया।

जिला प्रशासन की ओर से रैम्प वॉक और सांस्कृतिक कार्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रोत्साहित करते हुए प्रथम, द्धितीय और तृतीय पुरस्कार के रूप में क्रमशः तीन, दो और एक हजार रूपए के साथ कई वॉउचर्स दिए गए। इस दौरान तृतीय लिंग के व्यक्तियों को पहचान पत्र का वितरण भी किया गया। कार्यक्रम में महापौर, कलेक्टर, जिला पंचायत सीईओ, अन्य जनप्रतिनिधियों सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोग शामिल हुए।

बस्तर किन्नर समाज की अध्यक्ष रजनी यादव ने कहा कि किन्नर समाज को बढ़ते देखकर उन्हें बहुत अच्छा लग रहा है। पहले किन्नरों को हीन भावना से देखा जाता था। धीरे-धीरे किन्नरों को बराबरी का दर्जा प्राप्त हो रहा है। फैशन शो और सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन से किन्नर समाज बहुत खुश और उत्साहित है।

समाज कल्याण विभाग की उपसंचालक सुश्री वैशाली मरड़वार ने बताया कि तृतीय लिंग के व्यक्तियों को खुद को समाज का हिस्सा समझना जरूरी है। समाज का हिस्सा बनाने के लिए उन्हें एक बड़ा प्लेटफार्म देना जरूरी था, इसलिए विभाग ने उनके लिए कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम के माध्यम से लोगों में किन्नर समाज को लेकर जागरूकता आएगी। उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर आदिवासी संस्कृति के संरक्षण के लिए कलागुड़ी का उद्घाटन किया था। यहां ढोकरा, बेल मेटल, टेराकोटा, काष्ठ के विभिन्न शिल्प को प्रदर्शित किया गया है। फैशन शो में ट्रांसजेंडर्स ने कलागुड़ी के आभूषणों और परिधानों के माध्यम से आदिवासी कला और संस्कृति को बढ़ाने का काम भी किया है।

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