November 22, 2024

ग्राम मलगा के नरवा में डूबा मनेंद्रगढ़ वन मंडल

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ग्राम मलगा में नरवा निर्माण छत्तीसगढ़ शासन को लगा लाखो रुपए का पलीता

छत्तीसगढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जो सपना छत्तीसगढ़ नव निर्माण के लिए देखा था उसको साकार करने के लिए करोड़ों रुपए का बजट भी दिया परंतु मुख्यमंत्री के इस सपने को साकार करने की जगह नरवा निर्माण में जो घोटाला हुआ मनेंद्रगढ़ का मलगा ग्राम इसका जीता जागता सबूत है मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को मनेंद्रगढ़ वन मंडल जिस खूबसूरती के साथ चूना लगाया वह अपने आप में ही अकल्पनीय मुख्यमंत्री के सपनों को तोड़ने का हुनर सिर्फ और सिर्फ मनेंद्रगढ़ वन मंडल के पास है ग्राम मलगा में जिस कदर शासन के पैसों की बर्बादी हुई है वह तो पूरे प्रदेश के लिए एक मिसाल बन गई

मनेंद्रगढ़ कोरिया – मनेंद्रगढ़ वन मंडल का अज़ब गजब नरवा जी हां आप सही सोच रहे हैं।मनेंद्रगढ़ वन मंडल के वन परिक्षेत्र मनेंद्रगढ़ अन्तर्गत मलगा नामक जंगली सड़क के किनारे और पहाड़ी के टापू पर छत्तीसगढ़ के भूपेश सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट कहे जाने वाला नरवा योजना की जोरदार खिल्ली उड़ाई गई है।इस नरवा का निर्माण विगत वर्षों के दौरान कराया गया है।आपको बता दें कि इस निर्माण कार्य को पहुंच विहीन स्थल में कराया गया है।पहाड़ के टीले पर एक सपाट बड़े मैदान को करीब 60 से 70 मीटर लंबा चौड़ा एक फिट खोदकर उसी की मिट्टी से तीन तरफ करीब डेढ़ मीटर ऊंचा मेड़ बनाकर एक मुहाने को बिना मेड़ के ही छोड़ दिया गया है।जो बहुत ही बड़ी अनियमितता को दर्शाता है।जानकारी को स्पष्ट करते हुए बताते हैं कि उक्त नरवा के मेड़ को सुरक्षित रखने के लिए जो पत्थरों से मेड़ की दोनों ओर साइड पिचिंग की जाती उसका भी कार्य नहीं किया गया है।आपको बता दें कि इस निर्माण कार्य के जिस स्थल का चयन किया गया है वो बिल्कुल ही गलत और योजना के उद्देश्य के मद्देनजर पूरी तरह विपरीत है।बरसात का जमा थोड़ा सा कीचड़ वाला पानी महज थोड़ी सी धूप में ही सूखने की ओर चल पड़ा है।अब अगर नरवा योजना के उद्देश्य पर गौर करें तो मौका मुआयना यही कहता है कि आने वाली गर्मी की धूल वाली आंधी या फिर तेज बारिश का पानी शायद इस नरवा के मेड़ को बगल कि खाई में ना धकेल दे और बचा रह जाए तो सिर्फ और सिर्फ सपाट मैदान।

मिलीभगत उजागर न हो इसलिए किसी भी सूरत में नहीं दी जाती जानकारी,,,

आपको अवगत करा दें कि आम जन या फिर कोई आर टी आई कार्यकर्ता जब मनेंद्रगढ़ वन मंडल के अधिकारियों के कार्यालय से जानकारी चाहता है तो लिप्त लोगों की मिलीभगत उजागर ना हो जाए इसके डर से विभाग जानकारी नहीं देता,ग्राउंड जीरो से मिले तथ्यों पर अगर उच्चाधिकारियों से जांच कराने की बात की जाए तो विभाग के और मिलीभगत के साझेदार अधिकारी खुद स्थल जांच करने चले आते हैं वह भी मामला उजागर साझा करने वालों को जानकारी बिना दिए।और अन्यत्र स्थल निरीक्षण का जांच प्रतिवेदन लिखकर शिकायत गलत बता दिया जाता है।जिसके बाद अगर कोई भी वर्ग वन विभाग के भ्रटाचार को उजागर करने की कोशिश भी करता है तो यही विसंगतियां सामने बनी रहती हैं और भ्रटाचार अनवरत फलता फूलता रहता है।

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