हरे भरे जंगलों की अनदेखी और अंधाधुंध कटाई से अब ठूंठ में तब्दील होता जा रहा वन मंडल मनेंद्रगढ़ अंतर्गत वन
केल्हारी सेमर मथानी के परिपक्व सागौन पौधों की हुई कटाई
मनेंद्रगढ़ कोरिया -अभी कुछ समय पहले ही समूचा विश्व कोरोना महामारी में ऑक्सीजन की कमी को झेला और अपने करीबियों को बिना ऑक्सीजन तड़पते हुए दम तोड़ते हुए देखा, कुछ यही आलम मनेंद्रगढ़ वन विभाग मंडल में भी देखने को मिल रहा है, हरे भरे पेड़ो की लगतार कटाई और वन संरक्षक ही नाकारा साबित हो रहा हो तो फिर किससे उम्मीद की जाए
.क्या है मामला,,,,,
हर समुदाय हर नेता,हर समाजसेवी संस्थाऎं अपने आयोजनों की प्रथम कड़ी में वृक्षारोपण को अहम भूमिका में रखती हैं, हम सब भी हर स्तर के आयोजनों की शुरुआत के पहले वृक्षारोपण को प्रमुख मान्यता के क्रम में रखते है।और समूचे मानव जाति और आने वाली पीढ़ी के लिए एक संदेश देते हैं की इस धरती पर जीवन के लिए पेड़ पौधों की क्या अहमियत है। और इससे हमारा पर्यावरण कितना शुद्ध रहता है।परंतु वहीं पर अगर इसे संरक्षित और विकसित करने की जिम्मेदारी वाली गतिविधियों पर गौर करें तो।यहां पर कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है।बात करते हैं वन विभाग की,जिसके कंधों पर बतौर जवाबदारी और ड्यूटी जंगलों को बचाने और उसे बढ़ाने के लिए के क्षेत्र में बागडोर सौंपा जाता है।पर उसी के मद्देनजर हमने देखा कि वन विभाग के द्वारा जंगल बचाने के मामले में बड़ी लापरवाही की जा रही है।जहां पर नए रोपित पौधों को बचा पाने में बड़ी जद्दोजहद करनी पड़ रही है वहीं दूसरी ओर 5 से 8 साल पहले किए गए प्लांटेशन के परिपक्व और युवा पौधों पर सामत आ पड़ी है।आपको बता दें कि मनेंद्रगढ़ वन मंडल का केल्हारी वन परिक्षेत्र बड़े और बीहड़ घने वनों की श्रंखला के लिए जाना जाता है।परंतु विगत एक वर्षों से इस वन परिक्षेत्र की आवो हवा और स्वतंत्रता भंग हो चुकी है।ये पूरा परिक्षेत्र विभाग के ही बिचौलियों का दंश झेलने को मजबूर हो गया है।विभाग के कुछ ऐसे कर्मचारी जिनके द्वारा पूरे केल्हारी वन भूमि पर पैसा लेकर अवैध अतिक्रमण कराने की और उन्हें संरक्षण देने तक की बात सामने आ रही है।जिसका परिणाम ये दिख रहा है कि लोग बहुत आसानी से केल्हारी के जंगलों में अपना अवैध अतिक्रमण का पड़ाव निडर होकर डालना शुरू कर चुके हैं।कभी कभार अखबारों में खबर प्रकाशित होने पर विभाग के चालाक कर्मचारी और अधिकारी विवाद को शांत करने के लिए अवैध अतिक्रमण वालों पर कार्यवाही के बजाय अपनी फसलों की रखवाली करने वाले किसानों के झालों और अस्थाई झोपड़ियों के दो चार लकड़ियों को उजाड़ कर लंबा चौड़ा तारीफ अखबारों में छपवाने लगते हैं और फिर आम जन का ध्यान भ्टका देते हैं।खैर बात यहीं पर खत्म नहीं होती है। यहां के प्राकृतिक वनों की बरबादी और हर दिन लुटती इस जंगल की जमीन की बात तो हो गई।पर जो वन विभाग कई साल पहले एक बड़े जंगल की कल्पना को साकार करने के उद्देश्य से प्लांटेशन किया था और जिसके लगभग पौधे एक वृक्ष का रूप लेने की राह पर हैं।क्या उन्हें वर्तमान के केल्हारी रेंज के जिम्मेदार सकुशल बचा पाने में सफल हैं?तो बिल्कुल भी नहीं। हम बताते हैं कि मनेंद्रगढ़ वन मंडल का केल्हारी वन परिक्षेत्र और उसका सेमर मथानी बीट जहां पर करीब 5 से 6 साल के बीच सागौन का प्लांटेशन हुआ था।अच्छी बात यह भी है कि वहां पर रोपित सागौन के पौधे लगभग परिपक्व और पूरी तरह तैयार भी हो चुके हैं। परंतु आज की वर्तमान स्थिति में केल्हारी वन परिक्षेत्र के अधिकारियों की लापरवाहियों के कारण सेमर मथानी बीट के सागौन वृक्ष और पौधे जिस बेदर्दी से काटे जा चुके हैं और आय दिन काटे जा रहे हैं।और भ्रमण के दौरान मौके की स्थितियों को देखकर जो अंदाजा लगाया गया है उससे यही लगता है कि अगर लापरवाही का यही सिलसिला ब्याप्त रहा तो, नहीं बचेगा एक भी सागौन इस क्षेत्र में।