गुरु नानक जयंती पर विधायक विकास उपाध्याय ने पंच प्यारे बच्चों एवं महिलाओं को सम्मानित किया
रायपुर। विधायक विकास उपाध्याय आज सिक्ख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव की जयंती प्रकाश पर्व के रूप में पश्चिम विधानसभा के टाटीबंध एवं हीरापुर में स्थित गुरुद्वारे में सिक्ख समुदाय के बीच उपस्थिति दर्ज कर मनाई। विकास उपाध्याय ने कहा, गुरु नानक देव जी अपने समय में हिन्दू और मुसलमानों पर समान रूप से प्रभाव डाला एवं हिन्दू और इस्लामिक दोनों ही धर्मों के तीर्थों की यात्रा की। उन्होंने ऐसा कर लोगों को सरल और सहज अध्यात्म की राह दिखाई। विकास उपाध्याय ने कहा, गुरु नानक जी की यही बातें व सीख आज भी प्रासंगिक है। विकास उपाध्याय आज इस दौरान गुरुद्वारे में पंच प्यारे बच्चों को स्कूल बैग और गुरुद्वारे में सेवा देने वाली महिलाओं को शॉल भेंट कर सम्मान की।
गुरु नानक देव जी की जयंती हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। इसी क्रम में विधायक विकास उपाध्याय आज अपने विधानसभा क्षेत्र स्थित गुरुद्वारे में उपस्थिति दर्ज कर सिक्ख समुदाय के साथ प्रकाश पर्व को धूम-धाम से मनाया। टाटीबंध स्थित गुरुद्वारे में उन्होंने मत्था टेक कर आम जन समुदाय के लिये खुशहाली की कामना की एवं वहाँ उपस्थित पंच प्यारे बच्चों को अपने हाथों से स्कूल बैग भेंट कर सम्मान किया। गुरुद्वारें में काफी संख्या में महिलाएँ जो प्रतिदिन अपनी सेवाएँ देती हैं, उन्हें भी शॉल भेंट कर सम्मान दी। इसी तरह हीरापुर भी वे गये एवं गुरुद्वारे में काफी संख्या में उपस्थित सिक्ख समाज के लोगों के साथ प्रकाश पर्व के अवसर पर गुरु नानक जी के संदेश को स्मरण किया।
इस दौरान विधायक विकास उपाध्याय ने कहा, यह हम सभी के लिये गर्व की बात है कि गुरु नानक देव जी ऐसे दिव्य शक्ति थे, जिन्होंने अपने काल में हिन्दू मुस्लिम के बीच कभी कोई भेदभाव नहीं की, बल्कि हिन्दू और इस्लाम दोनों धर्म का अध्ययन किया। वे कुरितियों एवं अवांछनीय परंपराओं का हमेशा विरोध करते रहे। गुरु नानक जी अपने समय में इस्लामिक और हिन्दू दोनों ही धर्मों की तीर्थों की यात्रा की। इस तरह से सामाजिक भेद-भाव व जात-पात से दूर रहने अपने संदेश देते रहे। इसी बीच वे सिक्ख धर्म की स्थापना की और आज ही का वह दिन है जब कार्तिक पूर्णिमा के दिन उनकी जयंती मनाई जाती है। इस दौरान विधायक जी के साथ सिक्ख समाज के टाटीबंध के प्रधान दलबीर सिंग, रणजोत सिंग, सक्तर सिंग, बाबा सुखा, निरबयाल सिंग, हैप्पी बाजवा, गुरदीप गरचा, ज्ञानी सिंग, कुलदीप सिंग, हरप्रीत रंधावा, करमजीत सिंग, लहल सिंग, साबीबल एवं जोधा उपस्थित रहे।