नव वर्ष पर जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) अध्यक्ष अजीत जोगी ने दिया जनता को संदेश:2018- छत्तीसगढ़ी अस्मिता रक्षा वर्ष
सभी छत्तीसगढ़िया मन ल नया साल के गाड़ा गाड़ा बधाई।
यह नया साल महज तारीख का बदलना नहीं है बल्कि यह नई तारीख लिखने का साल है। छत्तीसगढ़ महतारी हमें आर्त स्वर में पुकार रही है। हम सब- वे सारे लोग – जिनका दिल छत्तीसगढ़ महतारी के लिए धड़कता है- इस कारुणिक पुकार को सुनकर दुखित, चिंतित और विचलित हो रहे हैं। चहुँ ओर शोषण, दमन और अत्याचार का बोलबाला है।
–युवा, बेरोजगार भटक रहे हैं। छत्तीसगढ़ महतारी के दलित और विकलांग बेटे जिंदगी से हार कर खुदकुशी करने को मजबूर हैं।
–आदिवासियों का सीना गोलियों से छलनी हो रहा है। उनके जल, जंगल और जमीन उनसे छीन लिए गए हैं। बदले में उन्हें जहरीली हवा, विषैला पानी, बंजर धरती और ढेर सारी मुफ़लिसी दे दी गयी है। आखिर इनका दोष क्या है? बस इतना ही न कि ये छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे बेटे हैं। ये सरल, संतोषी, शांतिप्रिय, स्वाभिमानी हैं। ये अपने पराये का भेद नहीं करते। ये निर्मल जल की तरह हर रंग में रंग जाते हैं। हर संस्कृति, हर भाषा, हर प्रदेश को अपना लेते हैं। इसका परिणाम यह हो रहा है कि इन्हें भोला और बुद्धू समझा जा रहा है। इन्हें इनके गुणों का पुरस्कार न देकर दंड दिया जा रहा है।
समय आ गया है कि छत्तीसगढ़िया अपनी ताकत को समझे, अपनी पहचान को जाने और उस पर गर्व करे, वह संगठित हो। हमने तय किया है कि वर्ष 2018 को छत्तीसगढ़ी अस्मिता रक्षा वर्ष के रूप में मनाएंगे। शुरुवात हम छत्तीसगढ़ी भाषा से करेंगे। छत्तीसगढ़ी में बोलेंगे और लिखेंगे। हमारे संबोधन छत्तीसगढ़ महतारी के जयकारे से शुरू होंगे और खत्म भी होंगे। जय जोहार और पायलगी हमारी दिनचर्या के अंग होंगे। ऐसा करके हमारा प्रयास होगा कि जब हमारी सरकार अगले साल छत्तीसगढ़ी में प्राथमिक शिक्षा देने और सरकारी काम काज में छत्तीसगढ़ी के प्रयोग को अनिवार्य करे तो किसी को मुश्किल न हो। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) प्रदेश में सरकार बनाने के बाद छत्तीसगढ़ में नौकरी और व्यापार करने के लिए छत्तीसगढ़ी के ज्ञान को अनिवार्य करेगी और इसके लिए यह वर्ष लोगों में आदत डालने में सहायक होगा।
मेरी पार्टी के कार्यकर्ता सखी बदने और गियाँ या मितान बनाने की परंपरा को जीवित करेंगे। मेरे हर पार्टी कार्यकर्ता का कोई न कोई वंचित, दिव्यांग या अशक्त सखी होगा, मितान होगा। हम छत्तीसगढ़ के त्योहारों को उनकी पुरानी रंगत लौटा कर जोर शोर से मनाएंगे। इसकी शुरुआत छेरछेरा से होगी। अभी तक छत्तीसगढ़िया हर प्रदेश के, हर संस्कृति के त्योहारों में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता था। अब देखना है कि सारे अन्य लोग छत्तीसगढ़ के त्योहारों में कैसी सहभागिता करते हैं। छत्तीसगढ़ के महापुरुषों और विभूतियों की जयंती का आयोजन हम जोर शोर से करेंगे और हमें उम्मीद है कि हर वह आदमी जो खुद को छत्तीसगढ़िया समझता है पार्टी और दूसरे बंधन तोड़कर इन महापुरुषों की महिमा गाने इन कार्यक्रमों में आएगा। हम लोगों से अपील करेंगे कि अपनी शादियों में एक स्टाल छत्तीसगढ़ी व्यंजनों का अवश्य रखें। हर विवाह में छत्तीसगढ़ का कोई न कोई गहना हम भेंट दें। हम गुमनामी के अंधेरे में डूबे लोक गीत संगीत और नृत्य के नायाब हीरों को ढूंढकर उनका सम्मान करेंगे।
मैं जानता हूँ हमारे इस निर्णय पर अनावश्यक विवाद खड़ा किया जाएगा। मैं इसके लिए तैयार हूँ। छत्तीसगढ़िया की मेरी परिभाषा व्यापक है। मेरी नजर में ऐसा कोई भी व्यक्ति जो छत्तीसगढ़ महतारी के चरणों में शीष नवाता हो, अपने साथी छत्तीसगढ़ियों का आदर करता हो, छत्तीसगढ़ी भाषा को अपनाने में जिसे आपत्ति न हो, जो छत्तीसगढ़ की संस्कृति और यहां की परंपराओं को आदरपूर्वक अपनाता हो और जो यहां के तीर्थों, देवी देवताओं और महापुरुषों के प्रति सम्मान रखता हो, सच्चा छत्तीसगढ़िया है भले ही वह यहां का मूल निवासी न हो। छत्तीसगढ़ी अस्मिता रक्षा वर्ष बनाने का कोई भी छत्तीसगढ़िया विरोध नहीं करेगा। वह कर ही नहीं सकता। उसे तो इस निर्णय पर गौरव और प्रसन्नता होगी। जो विरोध करेंगे उनका स्थान कहाँ होना चाहिए यह छत्तीसगढ़ की जनता अब उन्हें स्वयं बता देगी।