मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस पर दी बधाई
युवा छत्तीसगढ़ की ऊर्जा का सही दिशा में इस्तेमाल कर इसे मॉडल राज्य बनाएंगे: भूपेश बघेल
रायपुर, 31 अक्टूबर 2021/ मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को एक नवम्बर राज्य स्थापना दिवस पर बधाई दी है। श्री बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ अपने निर्माण का 21 वां वर्ष पूर्ण कर 22 वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। हमारा युवा छत्तीसगढ़ ऊर्जा और आत्मविश्वास से भरा हुआ है। इस ऊर्जा का सही दिशा में इस्तेमाल करते हुए हमें छत्तीसगढ़ राज्य को एक मॉडल राज्य बनाना है।
श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार ‘गढ़बो नवा छत्तीसगढ़‘ का संकल्प लेकर मजूबत इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रही है। राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ की संस्कृति, संस्कार और संसाधनों को संरक्षित और सवंर्धित करने के साथ ही सुलभ और सुचारू प्रशासन व्यवस्था लागू करने की दिशा में कदम उठाए हैं। वन अधिकार पट्टा, तेंदूपत्ता बोनस और वनोपजों का वाजिब दाम दिलाकर राज्य सरकार ने जल, जंगल, जमीन का लाभ स्थानीय लोगों तक पहुंचाया है। विकास प्रदेश के हर कोने और हर व्यक्ति तक पहुंचे इसके लिए नई प्रशासनिक ईकाइयों का गठन किया गया है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूती राज्य सरकार की प्राथमिकताओं में हैं, जिससे घर-परिवार के पास ही लोगों को बेहतर रोजगार उपलब्ध हो सके। इसी उद्देश्य से सुराजी गांव योजना और गोधन न्याय योजना की शुरूआत की गई। दो रुपए किलो में गोबर खरीदी और जैविक खाद के निर्माण से पौने दो लाख से ज्यादा ग्रामीण, किसान और महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं।
गोधन न्याय योजना का विस्तार करते हुए गोबर से बिजली बनाने का काम भी शुरु किया जा चुका है। नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी को सहेजने के लिए शुरू की गई सुराजी गांव योजना के बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। इसके तहत बने गौठान अब आजीविका केन्द्र के रूप में विकसित हो रहे हैं। इनके माध्यम से ग्रामीण और किसान स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रहे हैं। अन्नदाताओं को आर्थिक संबल प्रदान करने के लिए कर्ज माफी के साथ ही राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से उन्हें इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। पिछले साल की तरह इस साल भी लगभग 22 लाख किसानों को 5 हजार 702 करोड़ रूपये की सहायता राशि 4 किश्तों में दी जानी है। इसकी तीसरी किश्त का भुगतान राज्य स्थापना दिवस पर किया जा रहा है। महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए महिला कोष से स्व-सहायता समूहों को दिये गए लगभग 13 करोड़ रूपए के कालातीत ऋण माफ करने के साथ उनकी ऋण लेने की सीमा को भी बढ़ा दिया गया है, ताकि महिलाएं नए सिरे से अपना काम शुरू कर सकें।