भगवान श्रीकृष्ण के चरित्र से मन और मस्तिष्क शुद्ध होता हैं: पंडित रामदत्त तिवारी
श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह के पांचवें दिन सुदामा चरित्र दिव्य कथा के साथ झांकियां सजाई गई
जांजगीर-चांपा जिले के मूलतः कोटमी सोनार के प्रतिष्ठित नागरिक, हाईकोर्ट बिलासपुर में महा-अधिवक्ता अशोक कुमार स्वर्णकार के निवास स्थान पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्यश्री रामदत्त तिवारीजी ने श्रीकृष्ण और सुदामा चरित्र की कथा को बड़े ही सुंदर और रोचक ढ़ंग से प्रस्तुत करके आहृलादित कर दिया।
इस अवसर पर सुदामा के रूप में सुमित स्वर्णकार एवं मुरली मनोहर कृष्ण के रूप अमित डेंटल क्लीनिक,नेहरु नगर बिलासपुर के डांक्टर अमित कुमार स्वर्णकार के दोनों भाईयों की जोड़ी ने भाव-विभोर कर दिया। कथाव्यास पंडित तिवारी महाराजश्री ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन आदर्शमय और धर्मप्रिय अवतार हैं। भगवान भक्तों को बिना मांगे ही सब कुछ दे देते हैं। श्रीकृष्ण ने सुदामा से कुछ नहीं मांगा था, फ़िर भी उन्होंने मित्रता धर्म का पालन करते हुए सब कुछ प्रदान कर दिया। आचार्यश्री ने कहा कि भगवान का चरित्र आश्चर्यमय हैं उसके चरित्र को सुनकर मनुष्य अच्छें संस्कारों को ग्रहण कर सकता हैं।भगवान राम का स्वरुपांतर श्रीकृष्ण हैं। कृष्ण त्रेता युग में सबके आराध्य देव बने। दुसरे द्वापरयुग में आरवाघ बने।राम तन का श्रृंगार हैं तो भगवान श्रीकृष्ण आत्मा का श्रृंगार हैं। कृष्ण आदर्श पुत्र भले ही ना बन सके लेकिन जन-जन के लिए आदर्श व्यक्तित्व जरुर बन गया हैं। का चरित्र-चित्रण मनमोहक हैं। जब मन शुद्ध होता हैं, तब चरित्र शुद्ध होगा। ज्ञानमार्ग से यदि मनुष्य भटक जाएं तो उसका जीवन निर्थक बन जाता हैं।महराजश्री ने यह भी कहा कि मनुष्य को कभी भी किसी के सामने हाथ नहीं फैलाना चाहिए।किसी से कुछ लेने-देने की आकांक्षा भी बिल्कुल नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मांगने वाला हमेंशा छोटा होता हैं। श्रीकृष्ण का चरित्र श्रवणनीय हैं, मित्र के अनुकूल उन्होंने अपना धर्म निभाया। हम सबको भी ऐसी ही भक्ति करनी चाहिए।भगवान श्रीकृष्ण की प्रत्येक लीला चिंतक योग्य हैं।
भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पांच अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। आज़ मनुष्य पूरे शरीर होते हुए भी नही उठा सकता। कृष्णजी गोपियों के साथ मटकी फोड़ते हैं दुध का हांडा फोड़ देते हैं। माखन-मिश्री की चोरी करते हैं समय पर हटीलें और झगड़ालू हो एक पिता के रुप में सारी सीमाएं तोड़ देते हैं,वही सोलह हजार एक सौ आठ पत्नियों के स्वामी भी बन जाते हैं। भगवान श्रीकृष्ण की हर लीला अपरंपार हैं,लीला प्रधान हैं।
प्रवचन प्रारंभ होने से पूर्व पंडित रामदत्त तिवारीजी का पुष्पाहार से स्वागत अशोक कुमार-श्रीमति राधिका देवी स्वर्णकार, डॉ•अमित कुमार, शशिभूषण सोनी, श्रीमती शशिप्रभा सोनी,डॉक्टर शांति कुमार सोनी, आलोक कुमार सहित गणमान्य लोगों ने किया!सौशल डिस्टेशिंग का पालन करते हुए आयोजित बिना किसी ताम-झाम और सीमित साउंड सिस्टम के श्रद्धालु-भक्त कथा का श्रवण कर रहे हैं। भक्ति-भाव से आयोजित श्रद्धा और आस्था से परिपूर्ण गंगा में डुबकी लगाने का सौभाग्य लोगों को प्राप्त हो रहा हैैं। न्यायधानी बिलासपुर में श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ के पुनीत अवसर पर सुदामा चरित्र की कथा सुनने, भगवान् की पावनआरती उतारने और तिवारीजी को अभिनंदन-पत्र सौंपने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।पूज्य माता-पिता के वार्षिक श्राद्ध निमित्त श्रीमद्भागवत महापुराण में बड़ी संख्या में लोग भक्ति-भाव से शामिल हो रहे हैं।
इस अवसर पर संतोष कुमार सिंह,बद्री प्रसाद तिवारी, तारेंन्द्र मिश्रा सहित कालोनी के प्रथम आयोजन से उत्साहित नज़र रहे है। प्रगतिशील स्वर्ण एवं रजत समिति के सचिव, पूर्व सहायक प्राध्यापक { वाणिज्य } शशिभूषण सोनी ने बताया कि भक्ति भाव से आयोजित इस श्रद्धा और आस्था से परिपूर्ण गंगा में उन्हें भी डुबकी लगाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सोनीजी कहा कि उन्हें श्रीमद्भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह स्थल पर सुदामा चरित्र की कथा सुनने एवं भगवान् की पावन आरती करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। कौशलेंद्र राव विधि महाविद्यालय, बिलासपुर में प्राध्यापक रहे खेमनाथ स्वर्णकार के वार्षिक श्राद्ध निमित्त भागवत कथा में बड़ी संख्या में लोग भक्ति-भाव से शामिल हो रहे हैं। इस अवसर पर संतोष कुमार सिंह,बद्री प्रसाद तिवारी,तारेंन्द प्रसाद मिश्रा, नंदकुमार पाण्डेयजी के अलावा कालोनी के लोग भक्ति-भाव से श्रीमद्भागवत कथा का रसपान कर रहे हैं।