मंत्री श्रीमती भेंड़िया ने की पोषण अभियान में सक्रिय सहयोग और भागीदारी की अपील
रायपुर : महिला एवं बाल विकास मत्री श्रीमती अनिला भेंड़िया ने बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं एनीमिया को समाप्त करने के लिए सितम्बर माह में मनाए जा रहे पोषण माह को सफल बनाने सभी जनप्रतिनिधयों सहित आम नागरिकों से इस दौरान आयोजित गतिविधियों में सक्रिय सहयोग और भागीदारी की अपील की है। उन्होंने कुपोषण और एनीमिया मुक्त छत्तीसगढ़ की अवधारणा को साकार करने सभी मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, जिला पंचायतों, जनपद पंचायतों,ग्राम पंचायत और नगरीय निकाय के जनप्रतिनिधियों सहित क्षेत्रीय अमले को पत्र लिखकर सहभागिता के लिए कहा है। उन्होंने कहा है कि अंतिम व्यक्ति तक पोषण संबंधी आवश्यक व्यवहार परिवर्तन और ‘कुपोषण छोड़ पोषण की ओर-थामे क्षेत्रीय भोजन की डोर‘ अवधारणा को मूर्त रूप देने के लिए सभी का सक्रिय सहयोग आवश्यक है।
उन्होने कहा है कि बच्चों में व्याप्त कुपोषण एवं किशोरी बालिकाओं, गर्भवती एवं शिशुवती महिलाओं में एनीमिया एक गंभीर समस्या है। कुपोषण एवं एनीमिया के स्तर में उल्लेखनीय कमी लाने के उद्देश्य से वर्ष 2018 से पोषण अभियान का संचालन किया जा रहा है। इसके तहत जनसमुदाय में पोषण के प्रति जागरूकता और व्यवहार परिवर्तन के लिए हर साल जन-आंदोलन के रूप में राष्ट्रीय पोषण माह का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी एक से 30 सितम्बर तक ’राष्ट्रीय पोषण माह’ मनाया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए इस साल राष्ट्रीय पोषण माह कोविड प्रोटोकाल का पालन करते हुए भौतिक और डिजिटल जन-आंदोलन के रूप में मनाया जाएगा। पोषण माह में प्रत्येक सप्ताह के लिए थीम निर्धारित की गई है। पहले सप्ताह में आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूलों, ग्राम पंचायतों एवं अन्य उपलब्ध सामुदायिक स्थानों पर पोषण वाटिका विकसित करने हेतु वृक्षारोपण किया जाएगा। दूसरे सप्ताह में पोषण हेतु योग एवं आयुष की अवधारणा के साथ गर्भवती माताओं, बच्चों एवं किशोरी बालिकाओं के लिए योग सत्रों का आयोजन होगा।
तीसरे सप्ताह में हाई बर्डन जिलों के आंगनबाड़ी केन्द्रों के हितग्राहियों को पोषण किट एवं अन्य सामग्रियों का वितरण किया जाएगा। चौथे सप्ताह में गंभीर कुपोषित (SAM) बच्चों के चिन्हांकन और उन्हें पौष्टिक आहार वितरण हेतु अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही पोषण माह के दौरान पौष्टिक सब्जियों, औषधीय पौधों, फलदार पौधों को घर और समुदायिक बाड़ियों, खाली पड़ी भूमियों में लगाने के साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों, स्कूल भवनों, शासकीय भवनों में तथा नगरीय क्षेत्रों में घर की छतों पर पोषण वाटिका निर्माण के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।