पंचायत भ्रष्टाचार में लाल हीरा का काला सच बरगवां
एक ही राजनैतिक दल के दो गुटों के बीच अपनी चाल व वाकपटुता से लाखों रुपए लूटने की जुगत।
बरगवां सोडा फैक्ट्री। (अविरल गौतम) विदित हो कि ग्राम पंचायत बरगवां जहां इस भीषण संकट काल में जन जन अपने रोजगार व्यवसाय सहित अपने परिवार के उ दर पोषण के लिए दर दर भटकते गरीब आदिवासी वर्ग जिन्हें दैनिक मजदूरी करके अपने और अपने परिवार जनों की भूख मिटाने के लिए इन 02 वर्षों के बीच भारी संकट का सामना करना पड़ा वही एक ही राजनीतिक दल के विपक्षी लोगों के बीच अपनी वाकपटुता और चतुराई के कारण पंचायत क्षेत्र अंतर्गत किए गए समस्त निर्माण कार्य का ठेका लेकर पंच परमेश्वर मद अंतर्गत सड़क निर्माण कार्य बाउंड्री वॉल, सामुदायिक शौचालय निर्माण,फर्शिकरण, पुलिया, नाली निर्माण कार्य सहित कई ऐसे निर्माण कार्य में व्यापक तौर पर भ्रष्टाचार व अनियमितता करते हुए, रेत की जगह ओबी मिट्टी (पटपर) और सड़क बनाने के लिए बड़े-बड़े पत्थर डालने चाहिए वहां कोयले का चूरा डालकर निर्माण कार्य में जमकर लूट की गई। लाल हीरा का काला सच जनपद पंचायत जैतहरी के उपयंत्री व पंचायत से संबंधित सचिव व अन्य विभागीय अधिकारियों के बीच अपनी पहचान बनाई और सूझ बूझ के चलते कमीशन खोरी की आड़ पर सांठगांठ बनाकर जमकर शासन की जन कल्याणकारी योजनाओं का जिनके द्वारा सरकार अपनी जनता को हर सुविधा मुहैया कराने के लिए अनवरत जनहित में कार्य कर रही है जिससे एक निचले तबके का गरीब व्यक्ति इन सभी योजनाओं से लाभान्वित हो और गरीबों के विकास के साथ-साथ ग्राम का विकास भी हो सके किंतु ग्राम सचिव की सह पर लाल हीरा के काले कारनामे इन दिनों जोरों पर है जिसके द्वारा पूरे पंचायत क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना अंतर्गत गरीब परिवार को दी जाने वाली भवन निर्माण की सौगात तथाकथित व्यक्ति के द्वारा गरीबों के हक को ऐंठने में लगा है। विश्वास विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक बताया जाता है कि यह तथाकथित ठेकेदार अपनी हरकतों को लेकर दूर का ढोल सुहावना लगता है की तर्ज पर पंच परमेश्वर मत अंतर्गत स्वीकृत निर्माण कार्य की राशियों को बिना मजदूरी करें लोगों के खाते में डालकर फर्जी तरीके से मस्टरोल भरकर निरंतर आहरण किया जा रहा है इन 2 वर्षों के कार्यकाल में जब सरकार और जनता भीषण महामारी को लेकर सुरक्षा और सुरक्षित रहने के लिए हर प्रकार की जुगत लगाने में लगे थे।तब इनके जैसे लोगों के द्वारा पैसा कमाने की होड पर गांव में ग्रामीणों के द्वारा कहीं जाने वाली एक कहावत चरितार्थ होती है की “कथरी ओढ़ कर घी खाया जा रहा है।” यह इस प्रकार के कार्य में इतना उस्ताद और माहिर है कि एक ही दल के दो गुटों में विवाद होता रहे और यह व्यक्ति अपना काम निकाल कर चुपचाप किनारे हो जाता है।
इस प्रकार सचिव और उपयंत्री की शह पर बरसों से निर्माण कार्यों को लेकर ठेकेदारी कर रहा यह तथाकथित व्यक्ति जिसके द्वारा शासन और जनता के हित में सरकार द्वारा लाखों रुपए विकास के लिए खर्च कर रही है, जिसके द्वारा फर्जी बिल वाउचर के माध्यम से पंचायत खाते से बिना सर्विस टैक्स व सेल टैक्स दिए ही आहरण किया गया वह राशि कहां गई और इस कार्य में लिप्त लोगों के द्वारा अलग-अलग बैंकों में खोले गए खाते की जांच करा कर लाल हीरा का काला सच सामने ला सकती है।