खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए रोका-छेका अभियान एक जुलाई से
फसल और पशुधन दोनों की ही सुरक्षा में महत्वपूर्ण है रोका-छेका अभियान: मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
राज्य में गतवर्ष भी अभियान का रहा उत्साहजनक परिणाम
रायपुर, 30 जून 2021/ राज्य में खरीफ फसलों की सुरक्षा के लिए इस वर्ष भी एक जुलाई से रोका-छेका का अभियान शुरू किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा है कि रोका-छेका हमारी पुरानी पंरपरा है। यह अभियान राज्य में गतवर्ष भी चलाया गया था, जिसका बड़ा ही उत्साहजनक परिणाम रहा। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में चालू वर्ष के दौरान एक जुलाई से यह अभियान पुनः चलाया जा रहा है। उन्होंने इसकी सफलता के लिए सभी किसानों से सहयोग की अपील की है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ में अभी लगातार अच्छी बारिश हो रही है। किसान खेती-किसानी में जुट गए है। खरीफ फसलों की बुवाई तेजी से शुरू हो गई है। हम सब जानते है कि फसलों की बुवाई के बाद किसानों की सबसे बड़ी चिन्ता फसलों की देखभाल और उसकी सुरक्षा की होती है। फसलों की सुरक्षा के लिए रोका-छेका का अभियान महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। इससे हमारी फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगे।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि रोका-छेका हमारी पुरानी परंपरा है। इसके माध्यम से हम अपने पशुओं को खुले में चराई के लिए नहीं छोड़ने का संकल्प लेते हैं, ताकि हमारी फसलों को नुकसान ना पहुंचे। पशुओं को अपने घरों, बाड़ों और गौठानों में रखा जाता है और उनके चारे-पानी का प्रबंध करना होता है। आप सब को यह बताते हुए मुझे प्रसन्नता हो रही है कि पशुओं का रोका छेका का काम, अब गांव में गौठानों के बनने से आसान हो गया है। गौठानों में पशुओं की देखभाल और उनके चारे-पानी के प्रबंध की चिंता भी अब आपकों करने की जरूरत नहीं है। गौठान समितियां इस काम में लगी हैं।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि राज्य में पशुधन की बेहतर देखभाल हो, इस उद्देश्य से गांव में गौठान बनाए जा रहे हैं। अब तक हमनें 10 हजार 57 गौठानों के निर्माण की स्वीकृति दी है, जिसमें से 5 हजार 820 गौठान बनकर तैयार हो गए हैं। गोठनों में आने वाले पशुओं के लिए हरा चारा भी उपलब्ध हो, इसके लिए हमने सभी गौठान समितियों को गोठनों में चारागाह के लिए सुरक्षित भूमि में हरा चारा लगाने को कहा है। मुझे खुशी है कि राज्य में निर्मित 5 हजार 820 गौठनों में से लगभग 2000 गौठानों में पहले से ही चारागाह विकसित किए जा चुके हैं और वहां हरे चारे का उत्पादन भी पशुओं के लिए किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि हमारे राज्य में वर्षा आधारित खेती होती है। फसलों की सुरक्षा के लिए हम पशुओं के रोक-छेका का उपाय करते हैं। बरसात के दिनों में ही पशुओं में गलघोटू और एकटंगिया की बीमारी होती है। पशुओं को इन दोनों बीमारियों से बचाने के लिए उनकी देखभाल इस मौसम में ज्यादा जरूरी है। रोका-छेका का अभियान भी इसमें मददगार होगा। गलघोटू और एकटंगिया बीमारी से बचाव के लिए पशुधन विकास विभाग द्वारा पशुओं को टीका लगाया जा रहा है। पशुपालक किसान अपने पशुओं को गलघोटू और एकटंगिया का टीका जरूर लगवाएं। पशुधन हमारी संपत्ति है। इसकी देखभाल करें, खुले में चरने के लिए न छोड़े, इससे हमारी फसल और पशुधन दोनों सुरक्षित रहेंगें।