1 जुलाई राष्ट्रीय डॉक्टर डे पर विशेष, छत्तीसगढ़ के सुदूर अंचल दंतेवाड़ा में बच्चों के मसीहा बने डॉ.राजेश ध्रुव
दंतेवाड़ा 30 जून 2021 ।जिला अस्पताल में शिशु रोग विशेषज्ञ के रूप में अपनी एक अलग पहचान बना चुके डॉ.राजेश ध्रुव जब आज से 5 वर्ष पूर्व दंतेवाड़ा आए थे तब वहाँ उन्हे अनगिनत स्थानीय समस्याओं से दो चार होना होना पड़ा था जिसमें कुपोषण, जापानी इंसेफेलाइटिस (जेई), सिकल सेल और मलेरिया जैसी बीमारियों शामिल थी।
शिशु रोग चिकित्सक के रूप में स्थापित होने की राह भी आसान न थी।दंतेवाड़ा सुदूर अंचलों तक फैला हुआ है।जहाँ के कुछ क्षेत्र बरसाती मौसम में पहुंच विहीन भी हो जाते हैं और वहां तक शिशु स्वास्थ्य की सेवाओं को पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं था।लेकिन परिस्थितियों के साथ संघर्ष ही किसी व्यक्ति को एक अलग पहचान दिलाता है ।
डॉ ध्रुव के प्रयासों से ही दंतेवाड़ा में धीरे-धीरे एसएनसीयू ( सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट) स्थापित किया गया जिसमें अब तक 1,500 बच्चों को लाभ मिला है, क्षेत्र में टीकाकरण को बढाया गया और साथ ही कुपोषण मुक्त करने के लिए राज्य में सबसे बड़ा 20 बिस्तरों वाला पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) जनवरी 2017 में जिला अस्पताल में स्थापित किया गया।अब तक इस पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) में 1,157 बच्चों को भर्ती किया गया और 1,145 बच्चों को कुपोषण से मुक्ति मिली है ।
शिशु रोग चिकित्सक उपलब्ध न होने के कारण पहले यहां से केस को जगदलपुर रेफर कर दिया जाता थे जो अब पिछले वर्षों से काफी कम हुआ है।डॉ.ध्रुव ने कंगारू मदर केयर विधि के द्वारा कम वज़न के बच्चों को बचाया है।
वर्तमान में वह कोविड-19 के नोडल ऑफिसर बनाए गए है और चाइल्ड हेल्थ के नोडल ऑफिसर के रूप में बेहतर सेवाओं को देखते हुए कोविड-19 की तीसरी वेव से सुरक्षा देने की तैयारी का दायित्व भी दिया गया है । लोगों को जब भी जरूरत पड़ी डॉ.ध्रुव उनकी सेवा में हाजिर रहते है।आजकल वह मरीजों को वर्चुअल माध्यम से भी परामर्श प्रदान कर रहे हैं।
डॉ. ध्रुव के इन्ही प्रयासों और प्रतिबद्धता के कारण ही उन्होंने लंदन से प्रकाशित टाइम मैगजीन के पन्नों में स्थान पाया है जो किसी के लिए भी गर्व की बात हो सकती है।यह खबर तब छपी थी जब एक बच्ची के चेहरे पर कीटाणुओं का हमला हुआ था जिससे उसकी चमड़ी उखड़ गई थी लेकिन नियमित देखभाल और उपचार से वह बच्ची स्वस्थ हो गई। तब मुझे लगा मै अपनी माटी के लोगों की कुछ सेवा कर सका।’’ रायपुर में फरवरी 2019 में राज्य स्तरीय समारोह में दंतेवाड़ा में किए कार्यो के लिए सीएम भूपेश बघेल के द्वारा डॉ. ध्रुव को भी अवार्ड दिया गया । कोविड-19 संक्रमण के शुरुआती समय 2020 में छत्तीसगढ़ इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन द्वारा 2020 में देश के बेस्ट रुरल पीडियाट्रिशियन का अवार्ड वर्चुअल माध्यम से दिया गया । बाल संरक्षण समिति में मुख्य भूमिका के रूप में डॉ. ध्रुव महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ भी काम कर रहे हैं । डॉ ध्रुव कहते है,“दंतेवाड़ा के सुदूर अंचलों में अभी भी शिशु स्वास्थ्य को लेकर स्थानीय लोगों में उतनी जागरूकता नहीं है।कई बार कैंप करके लोगों को बच्चों के पालन पोषण के साथ-साथ उनको बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए स्थानीय मितानिन को समझाइश दी जाती है”। क्रिकेट के शौकीन, डॉ ध्रुव ने कहते हैं,“डाक्टर बनने की प्रेरणा उन्हें बहन से मिली थी जब एक बार उन्होंने कहा था --
मेरा लाडला भाई कुछ बन पाएगा, या दिनभर क्रिकेट खेलता रहेगा।’’ बस इसी के बाद स्टेट लेवल तक क्रिकेट खेलने के बाद भी क्रिकेट को त्यागा और पढ़ाई में दिल लगाकर मेहनत करी पीएमटी में सिलेक्ट हुआ डॉक्टर की डिग्री हासिल की”।
माटी की सेवा करने के लिए जबलपुर मेडिकल कॉलेज में लेक्चरर के पद से त्याग-पत्र देकर 2013 में छत्तीसगढ़ में सेवा करने के लिए डॉक्टर ध्रुव वापस आए।रायपुर और भिलाई के प्राइवेट अस्पताल में नौकरी कर लोगों की सेवा की । लेकिन मन कुछ और ही करने को कह रहा था । एक वर्ष जिला अस्पताल धमतरी में सेवा दी जिसके बाद 2016 में अपनी माटी की सेवा करने के लिए दंतेवाड़ा चले आए ।
डॉ.ध्रुव कहते हैं,“उन्हे डॉक्टरी करके तुरंत ही अपनी माटी की सेवा में आ जाना था । “खैर, कोई बात नहीं देर आए, दुरुस्त आए।’’
बस्तर जिले में बीता था बचपन
शासकीय सेवा के दौरान डॉ राजेश ध्रुव के पिताजी की पोस्टिंग जगदलपुर में रही जिसके कारण उनका जगदलपुर की माटी से एक अलग ही लगाव है । जगदलपुर के नेशनल इंग्लिश स्कूल से पढ़ाई की ।
स्थानीय बोली गोंडी भी अच्छे से सीख रहे है
आजकल डॉ ध्रुव स्थानीय बोली गोंडी को अच्छे से सीख रहे है जिससे लोगों की परेशानी समझने में आसानी हो और सही रूप से उनका का इलाज किया जा सके ।