केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने की कृषक उत्पादक संगठनों की योजना की समीक्षा
नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि देश में 10 हजार नए कृषक उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनने से किसानों की आय बढ़ेगी, इन एफपीओ के बनने से छोटे किसानों को काफी सुविधाएं होगी। देशभर के लगभग 6,600 ब्लाक है और इनमें हरेक में कम से कम एक एफपीओ बनाया जाएगा, जिससे किसानों को सुविधाएं मिलने के साथ खेती की गुणवत्ता भी बढ़ेगी। चालू वित्तीय वर्ष में लगभग ढाई हजार एफपीओ बनाने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में एफपीओ की इस स्कीम को व्यवस्थित और पारदर्शिता से क्रियान्वित करने एवं सुलभ जानकारी के लिए एकीकृत पोर्टल बनाया जाएगा। केंद्रीय मंत्री श्री तोमर ने यह बात सोमवार को कृषि मंत्रालय में नए एफपीओ की योजना की समीक्षा बैठक के दौरान कही।
श्री तोमर ने कहा कि एफपीओ के गठन के कार्य से जुड़ी सभी एजेंसियां एकजुटता व समन्वय के साथ योजना की कल्पना को साकार करें। हमारा उद्देश्य यहीं होना चाहिए कि देशभर के किसानों को इसका पूरा लाभ मिलें। 10 हजार एफपीओ बनाने पर भारत सरकार 6,865 करोड़ रूपए खर्च करेगी। उन्होंने एफपीओ की ग्रेडिंग किए जाने तथा इनमें अधिकाधिक किसानों को जोड़ने की बात कही, ताकि कृषि क्षेत्र को इसका पूरा फायदा मिल सकें। योजना के लिए श्री तोमर ने कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की मदद लेने को भी कहा, जिनका जिलों में काफी नेटवर्क है। बैठक में कृषि राज्य मंत्री श्री परषोत्तम रूपाला व श्री कैलाश चौधरी ने भी विचार रखें तथा सुझाव दिए। कृषि सचिव श्री संजय अग्रवाल ने योजना की प्रगति से अवगत कराया।
बैठक में बताया गया कि शहद जैसे उत्पाद विशेष के एफपीओ भी बनाए जाएंगे, आर्गेनिक उपज के एफपीओ भी बनेंगे। ये एफपीओ बनने से छोटे व सीमांत किसानों की खेती की लागत में कमी आएगी व उन्हें मार्केटिंग में लाभ मिलेगा। एफपीओ को 18 लाख रूपए की दर से 3 वर्षों के लिए प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता दी जाएगी। इक्विटी अनुदान सुविधा भी मिलेगी, जिसमें 15 लाख रू. तक की मैचिंग इक्विटी ग्रांट होगी। इसी तरह ऋण गारंटी कोष के जरिये प्रति एफपीओ 2 करोड़ रू. तक कोलैटरल फ्री गारंटी सुविधा केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी
मैदानी क्षेत्रों में बनने वाले एफपीओ में सदस्यों की न्यूनतम संख्या 300, जबकि पूर्वोत्तर और पहाड़ी क्षेत्रों में 100 की जानी है। एफपीओ को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिए सदस्यों के रूप में छोटे, सीमांत और महिला किसानों/महिला एसएचजी, एससी/एसटी किसानों तथा अन्य आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणियों आदि को शामिल करने के लिए विशेष ध्यान दिया जाएगा। यह योजना प्राथमिक रूप से उपज क्लस्टर आधारित दृष्टिकोण पर है। एफपीओ के सदस्यों द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार, एफपीओ को या तो कंपनी अधिनियम या कोई राज्य सहकारी समिति अधिनियम के तहत पंजीकृत किया जाएगा। मौजूदा एफपीओ एनपीएमए की ऋण गारंटी सुविधा एवं ज्ञान सहायता का लाभ ले सकते हैं। 15 प्रतिशत लक्षित एफपीओ का महत्वाकांक्षी जिलों में गठन किया जाना है, जो ‘’एक जिला- एक उत्पाद’’ की अवधारणा पर केंद्रीत होंगे।
कौशल विकास व क्षमता निर्माण के लिए बैंकर ग्रामीण विकास संस्थान (बर्ड), लखनऊ, लक्ष्मणराव इनामदार राष्ट्रीय सहकारी अनुसंधान और विकास अकादमी (लिनाक), गुरूग्राम प्रशिक्षण हेतु केंद्रीय नोडल संस्थान होंगे। पहले से बने हुए एफपीओ के सदस्य-किसानों को भी ट्रेनिंग दी जाएगी। 9 क्रियान्वयन एजेंसियां इस पूरी योजना के काम में लगी हुई है। एकीकृत पोर्टल के पहले चरण की शुरूआत अगले महीने तक होगी।