उद्यमशील युवाओं के गांवों की ओर लौटकर कृषि को अपनाने के चलन को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता : उपराष्ट्रपति
नई दिल्ली : उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने आज भारतीय किसानों की स्थिति में सुधार लाने और कृषि को लाभदायक बनाने के लिए कृषि क्षेत्र में बेहद आवश्यक सुधारों पर जोर दिया। उन्होंने इसे प्राप्त करने के लिए सहकारी कार्रवाई का आह्वान किया। साथ ही किसानों और कृषि वैज्ञानिकों के साथ बातचीत करके एक ऐसी प्रणाली तैयार करने की बात कही जो किसान समुदाय को ठोस परिणाम दे।
गांवों वापस लौटने वाले उद्यमशील युवाओं द्वारा कृषि में उन्नत तकनीकों को लाने के उदाहरणों पर खुशी व्यक्त करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह एक उत्साहजनक प्रवृत्ति है और इसे और तेज किया जाना चाहिए। उन्होंने रेखांकित किया कि कृषि-उद्यमिता हमारे जनसांख्यिकीय लाभांश को हासिल करने और निरंतर रूप से रोजगार और लाभ कमाने का एक प्रभावी तरीका है।
श्री नायडू ने कृषि सुधार लाने के लिए केंद्र और राज्यों दोनों द्वारा सर्वोच्च प्राथमिकता और समन्वित कार्रवाई के साथ टीम इंडिया की भावना से काम करने की सलाह दी।
श्री नायडू ने यह भी सुझाव दिया कि 4 पी – पार्लियामेंट, पॉलिटिकल लीडर्स, पॉलिसी मेकर्स और प्रेस(संसद, राजनीतिक नेता, नीति निर्माता और प्रेस) को कृषि के प्रति सकारात्मक पूर्वाग्रह अपनाना चाहिए। “वास्तव में, कृषि को लाभदायक बनाने में एक क्रांतिकारी बदलाव समय की आवश्यकता है। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि विकास स्थिर और टिकाऊ हो।”
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव, डॉ. मोहन कांडा द्वारा लिखित, ‘एग्रीकल्चर इन इंडिया: कंटेम्परेरी चैलेंजेस – इन कॉन्टेक्स्ट ऑफ डबलिंग फार्मर्स इनकम’ का विमोचन करते हुए, उपराष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि जो समस्याएं भारतीय किसानों को उनकी पूरी क्षमता का अहसास कराने से दूर कर रही हैं, उन्हें पहचाना जाए। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि इसके बिना काम नहीं चल सकता।
कृषि उत्पादकता को प्रभावित करने वाले प्रमुख मुद्दों जैसे कि कृषि उत्पादन के लिए घटते खेतों के आकार, मानसून पर निर्भरता, सिंचाई के लिए अपर्याप्त पहुंच और औपचारिक कृषि ऋण तक पहुंच की कमी जैसे अन्य मुद्दों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “इन कारकों के परिणामस्वरूप, कृषि को एक लाभदायक उद्यम के रूप में नहीं देखा जाता है”।
श्री नायडू ने कहा कि बहुत से लोग कृषि छोड़ रहे हैं और शहरी क्षेत्रों में पलायन कर रहे हैं क्योंकि इस पर लागत बढ़ रही है और बाजार में अपने उत्पाद को बेचने की परिस्थितियां प्रतिकूल हैं जिससे कि किसान को यह पेशा मुनाफेभरा नहीं लग रहा है।
इस संबंध में, उपराष्ट्रपति ने कृषि को अपनाने लायक बनाने के लिए शासन और संरचनात्मक सुधार जैसे दीर्घकालिक नीतिगत बदलावों का आह्वान किया। यह सुझाव देते हुए कि केंद्र और राज्यों को किसानों की मदद करनी चाहिए, उन्होंने सरकारों को कर्जमाफी से परे सोचने की सलाह दी। श्री नायडू ने कहा कि किसानों को समय पर किफायती ऋण के साथ-साथ बिजली, गोदाम, विपणन आदि की बुनियादी सुविधाएं दिए जाने की जरूरत है।
भारत में कृषि की स्थिति में सुधार कर सकने वाली अच्छी प्रथाओं को दर्शाते हुए, श्री नायडू ने सरकारों को किसानों को अपनी फसलों में विविधता लाने और कृषि में जोखिम को कम करने के लिए संबद्ध गतिविधियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि बदलते पैटर्न और प्राथमिकताओं के साथ, कृषि को अधिक लाभदायक बनाने के लिए जैविक खेती और खाद्य प्रसंस्करण को बड़े पैमाने पर लिया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि किसान उत्पादक संगठनों को पुनर्जीवित किया जाना चाहिए ताकि किसान बड़ी तादाद में पैदावार कर लाभ उठा सकें और उनमें सौदेबाजी की शक्ति को बढ़ाया जा सके।
श्री नायडू ने कहा कि कई चुनौतियों के बावजूद, भारतीय किसानों की अंतर्निहित ताकत और क्षेत्र में हो रहे नवाचारों के कारण भारतीय कृषि प्रगति की ओर अग्रसर है। इस संदर्भ में, उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी के दौरान भी रिकॉर्ड खाद्यान्न और बागवानी उत्पादन की उपलब्धि हासिल करने के लिए किसानों की सराहना की।
2022 तक किसान की आय को दोगुना करने के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान का उल्लेख करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि सरकार और नीति निर्माताओं ने अपने दृष्टिकोण को केवल उत्पादन और उत्पादकता पर सीमित न रखकर इसे किसान और किसान कल्याण पर ध्यान केंद्रित किया था। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य के लिए, एक समग्र रणनीति परिकल्पना की गई थी और हाल के कृषि कानूनों समेत कई सुधार और कार्यक्रम पेश किए गए थे।
किसानों द्वारा उपज-जोखिम और मूल्य-जोखिम का सामना करने की समस्या का समाधान करने के महत्व पर जोर देते हुए श्री नायडू ने बुनियादी सड़क ढांचे, भंडारण और वेयरहाउसिंग सुविधाओं में सुधार, फसल विविधीकरण और भोजन प्रसंस्करण जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं की जरूरत को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि ये पहल कृषि को अधिक अपनाने योग्य बनाएगी जिससे आय सृजन हो पाएगा।
फसल विविधीकरण के महत्व पर विस्तार से चर्चा करते हुए, श्री नायडू ने कहा कि देश में खपत पैटर्न में बदलाव आया है। पोषण के लिए अनाज पर निर्भरता कम हुई है और प्रोटीन की खपत बढ़ी है। इस संबंध में, उन्होंने किसानों को कम पानी और बिजली का उपयोग करने वाली फसलों को उगाने के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
भारत सरकार के पूर्व गृह सचिव श्री पद्मनाभ, तेलंगाना राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री बी. विनोद कुमार, डॉ. मोहन कांडा, सेंटर फॉर गुड गर्वनेंस के निदेशक प्रो. देवी प्रसाद जुव्वदी, बीएसपी बुक्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक श्री अनिल शाह और अन्य इस कार्यक्रम में मौजूद थे।