मुख्यमंत्री ने किया दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का शुभारंभ
JOGI EXPRESS
प्रदेश में ढाई हजार करोड़ की लागत से बनेंगे 633 आश्रम-छात्रावास भवन: डॉ. रमन सिंह
अमर शहीद वीर नारायण सिंह को अर्पित की विनम्र श्रद्धांजलि
रायपुर –मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने आज अपरान्ह यहां शासकीय विज्ञान महाविद्यालय के मैदान में दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव का शुभारंभ किया। महोत्सव का आयोजन राज्य सरकार के आदिम जाति और अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा स्वतंत्रता संग्राम के महान योद्धा और छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह के शहादत दिवस पर किया गया है।
मुख्यमंत्री ने शुभारंभ समारोह में आदिवासी विकास के क्षेत्र में राज्य सरकार के उपक्रम अंत्यावसायी सहकारी विकास निगम की योजनाओं पर आधारित विकास पुस्तिका का विमोचन भी किया। संबोधित करते हुए कहा कि आदिवासियों की संस्कृति और परम्पराओं के संरक्षण और उन्हें विकास योजनाओं से जोड़ने की यह एक अच्छी पहल है। मुख्य अतिथि की आसंदी से समारोह को संबोधित करते हुए डॉ. सिंह ने कहा – विश्व बैंक, नाबार्ड और जिला खनिज न्यास निधि से सहायता लेकर प्रदेश के भवनविहीन सभी 633 छात्रावास और आश्रम शालाओं के भवनों का निर्माण किया जाएगा। इन भवनों के निर्माण में लगभग ढाई हजार करोड़ रूपए की लागत जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इनमें से 409 छात्रावासों के भवन निर्माण के लिए विश्व बैंक से और 78 छात्रावासों के लिए राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से सहायता ली जाएगी, 146 छात्रावासों का निर्माण जिला खनिज न्यास निधि की राशि से किया जाएगा। समारोह की अध्यक्षता केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्री श्री जुएल ओराम ने की। विधानसभा अध्यक्ष श्री गौरीशंकर अग्रवाल सहित राज्य सरकार के अनेक मंत्री, लोकसभा सांसद, संसदीय सचिव, विधायक और निगम मंडलों के अध्यक्ष विशेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित थे। मुख्यमंत्री सहित सभी अतिथियों ने कार्यक्रम के आरंभ में अमर शहीद वीर नारायण सिंह के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यमंत्री ने अमर शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत को याद करते हुए कहा कि शहीद वीर नारायण सिंह ने आजीवन अंग्रेजो के विरूद्ध संघर्ष किया। उन्होंने गरीबों की आवाज बनकर अकाल पीडि़त जनता को गोदाम से अनाज लूटकर बांटा। राज्य सरकार की मुख्यमंत्री खाद्य एवं पोषण सुरक्षा योजना उनसे प्रेरणा लेकर संचालित की जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न जातियों को मात्रात्मक त्रुटि के कारण जाति प्रमाण पत्र बनवाने में आ रही दिक्कतों का शीघ्र निराकरण किया जाएगा। केबिनेट की बैठक में फैसला लेकर प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले छह माह में अबूझमाड़ सहित प्रदेश के सभी जिलों के गांवों, मजरे-टोलों का शत-प्रतिशत विद्युतिकरण किया जाएगा। प्रदेश के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सहित कनेक्टिविटी के कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। सरगुजा का क्षेत्र नक्सल आतंक से मुक्त हो चुका है। बहुत जल्द बस्तर में भी शांति होगी। उन्होंने कहा कि आदिम जाति विकास विभाग की प्रयास, आस्था और निष्ठा योजना के माध्यम से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के बच्चे आईआईटी, मेडिकल, एनआईटी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए चयनित हो रहे हैं। संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा में भी इन क्षेत्रों के बच्चों ने सफलता पाई है।
समारोह में छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों सहित उत्तर पूर्व के राज्यों के आदिवासी लोक नर्तक दलों ने आकर्षक नृत्य प्रस्तुत किए। मुख्यमंत्री ने उनकी तारीफ करते हुए कहा – लोक नर्तकों ने आदिवासी जनजीवन, लोक संस्कृति और लोक कला की जीवंत प्रस्तुति दी। केन्द्रीय मंत्री श्री जुएल ओराम ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा – जनजातीय विकास के कार्यो में छत्तीसगढ़ पूरे देश में पहले नम्बर पर चल रहा है। उन्होंने कहा कि लघु वनोपजों का ट्रायफेड के माध्यम से सर्वाधिक कारोबार बस्तर में होता है और इसकी सबसे ज्यादा मार्केटिंग भी की जाती है। लघु वनोपजों के बाजार मूल्य की जानकारी के लिए केन्द्र सरकार ने एक वेबपोर्टल तैयार किया है। जिससे इनके व्यापार में सहूलियत होगी।
श्री ओराम ने कहा कि वर्तमान में 10 लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित किए गए हैं। जल्द ही 24 अन्य लघु वनोपजों के न्यूनतम समर्थन मूल्य भी घोषित किए जाएंगे। इससे बस्तर अंचल के जनजातीय समूहों को लाभ मिलेगा। श्री ओराम ने यह आश्वासन भी दिया कि छत्तीसगढ़ की जिन जातियों को मात्रात्मक त्रुटि के कारण कठिनाई हो रही है। उनकी दिक्कतों को जल्द दूर किया जाएगा। उन्होंने भी आदिवासी विकास विभाग द्वारा आयोजित आदिवासी महोत्सव की सराहना की। उन्होंने सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को देखकर कहा कि उत्तर पूर्व की जनजातियों के ढोल और बस्तर के मांदर में काफी समानता है। भले ही इनकी भाषा और वेशभूषा अलग है, लेकिन इनमें सांस्कृतिक समानता है। उन्होंने जनजातीय क्षेत्रों के विकास के लिए हर संभव सहयोग का आश्वासन दिया।
छत्तीसगढ़ के स्कूल शिक्षा और आदिम जाति विकास मंत्री श्री केदार कश्यप ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में जनजातियों के समाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विकास के लिए हर संभवन प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि रायपुर में आदिवासी संग्रहालय के निर्माण के लिए 26 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है। जगदलपुर में पांच करोड़ रूपए की राशि से गुण्डाधूर में संग्रहालय बनाया जाएगा। आदिम जाति विकास विभाग की विशेष सचिव श्रीमती रीना बाबा साहेब कंगाले ने स्वागत भाषण दिया। उन्होंने दो दिवसीय आदिवासी महोत्सव की रूप रेखा पर प्रकाश डाला। रामकृष्णन मिशन आश्रम नारायणपुर के बच्चों और देश के उत्तर पूर्व के राज्यों के लोक नर्तकों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए। प्रदेश के 19 जिलों और देश के उत्तर पूर्व के राज्यों से आए लोक सांस्कृतिक नर्तक दलों ने भी अपनी कला का प्रदर्शन किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर अंत्योव्यासी सहकारी वित्त एवं विकास निगम की विकास पुस्तिका का विमोचन किया। उन्होंने निगम की योजना के तहत विभिन्न हितग्राहियों को सामग्री और सहायता राशि के चेक वितरित किए। निगम को ऋण की नियमित किश्त जमा करने वाले हितग्राहियों का इस अवसर पर प्रशस्ति पत्र देकर सम्मान किया गया।
इस अवसर पर गृह, जेल और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री रामसेवक पैकरा, राजस्व और उच्च शिक्षा मंत्री श्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय, कृषि और जल संसाधन मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल, वन मंत्री श्री महेश गागड़ा, महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, लोकसभा सांसद सर्वश्री कमलभान सिंह, दिनेश कश्यप, विक्रम उसेण्डी, राज्यसभा सांसद श्री रामविचार नेताम, संसदीय सचिव श्रीमती चम्पादेवी पावले, श्री शिवशंकर पैकरा, श्री गोवर्धन मांझी, विधायक श्री भोजराज नाग, सरगुजा विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष श्री राजशरण भगत, नागरिक आपूर्ति निगम की अध्यक्ष सुश्री लता उसेण्डी, अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष श्री जी.आर. राना सहित अनेक निगम मंडलों के अध्यक्ष, जनप्रतिनिधि और प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए आदिवासी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में उपस्थित थे।