November 22, 2024

खेल राज्य मंत्री किरन रिजिजू ने आयुर्वेद पर आयोजित 26वें राष्ट्रीय सेमिनार और राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 24वें दीक्षांत समारोह का उद्घाटन किया

0

नई दिल्ली : माननीय रक्षा राज्यमंत्री श्री श्रीपद येसो नाईक और केन्द्रीय युवा मामले व खेल राज्य मंत्री वअतिरिक्त प्रभारी, आयुष मंत्रालय श्री किरन रिजिजू ने आज विज्ञान भवन में “सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-3 की प्राप्ति के लिए आयुर्वेद”पर आयोजित 26वें राष्ट्रीय सेमिनार और राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के 24वें दीक्षांत समारोह का उद्घाटन किया। आयुर्वेद में योगदान देने के लिए समारोह में प्रमुख वैद्यों को भी सम्मानित किया गया।

इस सेमिनार के आयोजन पर आरएवी को बधाई देते हुए, श्री श्रीपद येसो नाईक ने कहा, “यह हमारे लिए गर्व का विषय है।सतत विकास लक्ष्यों के रूप में ‘सभी के लिए स्वास्थ्य’ का लक्ष्य हमारे लिए नया नहीं है। आयुर्वेद भी सर्व भवन्तु सुखिनः की अवधारणा पर विश्वास करता है। यह सेमिनार समय की आवश्यकता है। यह युवा चिकित्सकों को आयुर्वेद की सामर्थ्य के बारे में शिक्षित करेगा।”उन्होंने आगे कहा कि आयुष सरकार के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से है और आयुष मंत्रालय ने पिछले 6 साल में सार्थक प्रगति की है।

श्री किरन रिजिजू ने राष्ट्रीय आयुर्वेदिक विद्यापीठ को 24वें दीक्षांत समारोह के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, “कोविड-19 महामारी के वर्तमान समय में इस सेमिनार का विषय बहुत ही प्रासंगिक है। इस सेमिनार से आयुष को बढ़ावा मिलेगा। यह प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के सपने को भी आगे लेकर जाएगा।”

आयुर्वेद की राष्ट्रीय अकादमी, राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ (आरएवी) ने शिक्षा की गुरु-शिष्य पद्धति के अद्वितीय माध्यम से नैदानिक कौशल को बढ़ाने के लिए प्राचीन आयुर्वेद केप्रचार का अपना सफर 1991 से शुरू किया। गुरुओं (शिक्षकों) द्वारा शिष्यों (छात्रों) को ज्ञान के अंतरण के लिए गुरुकुल काफी प्रभावी साधनरहा है। वर्तमान समय में संरक्षित रखी गई शिक्षा की इस प्राचीन पद्धति में कुछ बुनियादी संशोधन भी किए गए हैं। आज तक लगभग 1100+ छात्र इस पद्धति द्वारा विशेष ज्ञान अर्जित कर चुके हैं।

आरएवी को भारत और विदेश में उन आयुर्वेद कोर्सों को मान्यता प्रदान करने वाली एजेंसी के रूप में कार्य करने की जिम्मेदारी भी दी गई है जो आईएमसीसी अधिनियम, 1970 या अन्य किसी नियामक निकाय के तहत नहीं आते हैं। इसने अंतर अनुशासनिक अध्ययन जैसे कि पीएच.डी. के लिए आईआईटी वाराणसी से भी हाथ मिलाया है। आईटीआरए जामनगर, एनआईए जयपुर और एआईआईए, नई दिल्ली के साथ मिलकर आरएवी आयुर्वेद में एक सुपर स्पेशियलिटी कार्यक्रम के रूप में फेलोशिप कार्यक्रम भी शुरू कर रहा है।

हर साल, आरएवी शिष्योपनायण संस्कार (प्रवेशन समारोह), दीक्षांत समारोह और राष्ट्रीय सेमिनार जैसे विशिष्ट कार्यक्रम आयोजित करता है। इस अवसर पर आरएवी फेलो ऑफ आरएवी (एफआरएवी) पुरस्कार और लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार द्वारा भारत के हर कोने से उन प्रख्यात वैद्यों को सम्मानित करता है जिन्होंने आयुर्वेद के लिए अपना जीवन समर्पित किया है। इस साल 11 एफआरएवी और 2 लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार की पुष्टि की गई है। राष्ट्रीय सेमिनार की श्रृंखला में, इस साल का विषय है, “सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-3 की प्राप्ति के लिए आयुर्वेद।”

17 सतत विकास लक्ष्यों में से, “उत्तम स्वास्थ्य और खुशहाली”कोतीसरे स्थान पर रखा गया है। सतत विकास के लिए उत्तम स्वास्थ्य बहुत आवश्यक है। एसडीजी 3 को प्राप्त करने, गरीबी खत्म करने और असमानताओं को कम करने में यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज महत्वपूर्ण होगा।

दोष, धातु और मल के माध्यम से शरीर को समझने के लिए विस्तृत स्वास्थ्य योजना प्रस्तुत करने वाला आयुर्वदिक विज्ञान इस लक्ष्य की प्राप्ति में सहायक हो सकता है। आयुर्वेद ना केवल शारीरिक बल्कि साथ ही मानसिक स्वास्थ्य पर भी फोकस करता है औरसमय पर जांचे गए, संभव, अनोखे और व्यावहारिक दृष्टिकोण से यह सत्य भी स्थापित करता है कि आयुर्वेद में स्वस्थ जीवन और खुशहाली के लक्ष्य की प्राप्त को सुनिश्चित करने की क्षमता है।

“सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी)-3 की प्राप्ति के लिए आयुर्वेद” पर दो-दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार इस विषय पर गहरी समझ प्रदान करेगा।

समारोह में आयुष मंत्रालय के सचिव श्री वैद्य राजेश कोटेचा, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री आर. एम. मिश्रा, आयुष मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव श्री प्रमोद पाठक, आरएवी के शासी निकाय के अध्यक्ष वैद्य देविंद्र त्रिगुणा, आयुष में सलाहकार वैद्य मनोज नेसरी और राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के निदेशक वैद्य अनुपम उपस्थित थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *