पद नहीं संगठन के लिए काम महत्वपूर्ण है – पटवा
कोरिया/मनेन्द्रगढ़! पार्टी में कोई खींचतान नहीं चल रही है। परिवारवाद की राजनीति के लिए कौनसी पार्टी चर्चित है, यह किसी को बताने की जरूरत नहीं है। जिलाध्यक्ष पर परिवारवाद के तहत्
संगठन में पद बांटने का आरोप लगाने वाले पूर्व में स्वयं कई पदों पर रहकर पार्टी के लिए कार्य करते रहे हैं,
अब दूसरे कार्यकर्ताओं को मौका दिया जा रहा है तो इसमें किसी को नाराज नहीं होना चाहिए।
बावजूद इसके यदि किसी को संगठन से कोई नाराजगी है तो उन्हें पार्टी फोरम में आकर अपनी बात रखनी चाहिए।
उक्त बातें भाजपा मनेंद्रगढ़ मंडल अध्यक्ष धर्मेंद्र पटवा ने कही। बता दें
कि भाजपा के कुछ
पदाधिकारी और कार्यकर्ताओं ने पूर्व कैबिनेट मंत्री भईयालाल राजवाड़े से मिलकर जिलाध्यक्ष
कृष्णबिहारी जायसवाल पर संगठन में मनमानी करते हुए उन पर परिवारवाद चलाने का आरोप
लगाया है। जिलाध्यक्ष के समर्थन में आए मंडल अध्यक्ष पटवा ने कहा कि आज पद की लालसा
से जिनके द्वारा संगठन पर अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है वे पहले स्वयं
पदाधिकारी रहे चुके
हैं। दो बार जिला महामंत्री, मजदूर संघ जिलाध्यक्ष, प्रदेश व्यापार
प्रकोष्ठ, भायजुमो महामंत्री,
मंडल महामंत्री पद से नवाजे जा चुके हैं। पद क्रमबद्ध तरीके से चलते रहते
हैं तभी कार्यकर्ता जुड़े
रहते हैं और संगठन को मजबूती मिलती है। जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को
पार्टी में आगे बढ़ने
और संगठन को मजबूत करने के लिए स्थान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पद
ही पार्टी के
लिए नहीं है, बल्कि काम महत्वपूर्ण है। एक ही व्यक्ति को पद दिए जाने से
कार्यकर्ताओं का
मनोबल गिरता है। उनका कोई महत्व नहीं रह जाता। भाजपा का संस्कार है कि
आखिरी पंक्ति तक
के लोग आगे बढ़ें सबके साथ सबका विकास पार्टी का उद्देश्य है। उन्होंने
कहा कि काम करने
वालों को ही संगठन में स्थान मिलता है। मंडल अध्यक्ष ने कहा कि अपनी बात रखने का जो
तरीका अपनाया गया है वह पार्टी अनुशासन के न केवल खिलाफ है बल्कि घोर अनुशासनहीनता
की परिधि में आता है। पटवा ने कहा कि जो लगातार लंबे समय से क्षेत्र से
लेकर प्रदेश स्तर के
वरिष्ठ पदाधिकारियों के विरूद्ध अनर्गल टीका-टिप्पणी और मर्यादाविहीन
बातें सार्वजनिक तौर पर
करते रहे हैं उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाना आवश्यक हो गया
है, क्योंकि ऐसे
अनुशासनहीन कार्यकर्ताओं के कारण पार्टी की छवि पर विपरीत असर पड़ रहा है।