योग के माध्यम से एकाग्रता और मन को वश में करने की कला को जाना: प्रसिद्ध योग गुरु प्रज्ञानंद महाराज का आईजीएनटीयू में विशेष व्याख्यान
JOGI EXPRESS
गौरेला ,सोहैल आलम भारतीय पौराणिक ग्रंथों में योग के महत्व और इसके माध्यम से जीवन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्रदान के लिए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय में गुरुवार को परमहंस प्रज्ञानंद महाराज का विशेष व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर योग विशेषकर प्राणायाम के माध्यम से मन को स्थिर कर एकाग्रता प्राप्त करने के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।
प्रज्ञानंद महाराज ने श्वास-प्रश्वास की चार सेकंड की प्रक्रिया को समझाते हुए कहा कि यदि स्वयं की श्वास को वश में करने की कला को समझ लिया जाए तो मन को और अधिक दृढ़ बनाकर शरीर को और अधिक दृढ़ करने में मदद मिलती है। उन्होंने विभिन्न उद्धरणों के माध्यम से वेद और शास्त्रों में योग के महत्व को उल्लेखित करते हुए कहा कि इसके माध्यम से निरोगी काया को प्राप्त करके जीवन के प्रत्येक सुख को प्राप्त किया जा सकता है जो आधुनिक जीवन शैली में लुप्त होता जा रहा है।
कुलपति प्रो. टी.वी. कटटीमनी ने सरल शब्दों के माध्यम से योग के गूढ़ ज्ञान को प्रदान करने के लिए परमहंस प्रज्ञानंद का आभार व्यक्त किया। उन्होंने योग को विशुद्ध भारतीय पद्धति बताते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इसके प्रचार और प्रसार में हर संभव प्रयास करेगा। उन्होंने छात्रों से स्वयं के कार्यों को पूजा मानकर करने और प्रत्येक दिन स्वयं को और अधिक बेहतर बनाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम में प्रो. नरोत्तम गान, योग के डीन प्रो. एन.एस.हरिनारायण मूर्ति और विभागाध्यक्ष डॉ. मोहनलाल चढ़ार सहित बड़ी संख्या में शिक्षकों और छात्रों ने भाग लिया।