November 25, 2024

आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में सरकारी राशन में गेहूँ-चांवल के दाम बढ़ाने की सिफारिश करना गलत – विकास उपाध्याय

0

मोदी सरकार का छोटे कारोबारियों पर विश्वास नहीं रहा, वह चिन्हित कारोबारियों के भरोसे चलना चाहती है

रायपुर। अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी के सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किये गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में खाद्य सब्सीडी के खर्च को बहुत अधिक बताते हुए उस सुझाव का विरोध किया है, जिसमें 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को राशन के दुकानों से दिये जाने वाले अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी की जानी चाहिए। विकास उपाध्याय ने कहा, कि खाद्य सब्सीडी पर बचत के बजाय जीवन बचाना सरकार की बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा, सरकार राजस्व बढ़ाने के लिए दूसरे उपायों पर विचार करे।

कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय सचिव विकास उपाध्याय ने संसद में पेश किये गए आर्थिक सर्वेक्षण 2021 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, कि सरकार अपनी पार्टी की राजनीति चमकाने अच्छे स्तर पर कार्य कर रही है, परन्तु अर्थव्यवस्था के मामले में पूरी तरह से असफल है। मोदी सरकार ने सीधे बैंक ट्रांसफर के जरिये कई लाख करोड़ रूपये बांटकर चूपके से तेल के गिरते दामों के बीच एक्साइज टैक्स बढ़ाकर इसकी खाना-पूर्ति कर ली और जिस तेल की कीमत आम उपभोक्ता को सस्ते में मिलना था, उससे वंचित हो गया। यही वजह है कि आम जनता तेल के बढ़ते दामों के बीच मोदी सरकार द्वारा आर्थिक पैकेज के नाम पर बांटे गए पैसे को अपने जेब से भर रही है। उन्होंने कहा, कि आर्थिक सर्वेक्षण 2021 में सबसे निराशा वाली जो सुझाव दिया गया है, उसमें मिलने वाले 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को राशन की दुकानों से अनाज के बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी करना है।

विकास उपाध्याय ने कहा, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सार्वजनित वितरण प्रणाली (पीडीएस) के माध्यम से खाद्यान्न बेहद सस्ती दर पर दिये जाते हैं। इसके तहत राशन की दुकानों से तीन रूपये प्रति किलो चांवल, दो रूपये प्रति किलो गेहूँ और एक रूपये प्रति किलो दर से मोटा अनाज दिया जाता है। इस प्रणाली से निचले तक्के के 80 करोड़ गरीब लाभार्थियों को फायदा मिल रहा है। ऐसे में आर्थिक सर्वेक्षण 2021 के सुझाव में इसमें बढ़ोतरी करना गरीबों के जेब में कोरोना महामारी के बीच जूझ रहे आर्थिक तंगी के बीच डाका डालना होगा। विकास उपाध्याय ने इस सर्वेक्षण में प्रवासी मजदूरों के संकट को लेकर कोई जिक्र नहीं किये जाने को लेकर भी दुर्भाग्य बताया है।

विकास उपाध्याय ने अपने बयान में यह भी कहा, कि मोदी सरकार कारोबारियों पर ज्यादा संदेह करती है, जबकि यूपीए के शासन काल में ऐसी स्थिति नहीं थी। अब इस सरकार में एक कम्पनी बनाना चुनौती पूर्ण है। इसलिए कि सरकार चिन्हित कुछ ही कम्पनियों पर केन्द्रित है, जिसे वह लगातार लाभ पहुँचाना चाह रही है। उन्होंने कहा, जिन चीजों का निजीकरण करना चाहिए उसे छोड़ यह सरकार शासकीय उन उद्मियों को निजीकरण करने तुली है, जो सरकार को फायदा पहुँचा रही है और ऐसा कर हम अपना और अपनी अर्थव्यवस्था का गला घोंट रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *