September 21, 2024

सरकार के दो साल : पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश सरकार और कांग्रेस पर कसा क़रारा तंज

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प्रदेश सरकार का कार्यकाल आत्महत्या, भ्रष्टाचार से होने वाली मौतों और इच्छामृत्यु के आवेदनों के लिए कोसा जाएगा : भाजपा

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने प्रदेश सरकार और कांग्रेस पर क़रारा कटाक्ष किया है कि इस प्रदेश सरकार का कार्यकाल आत्महत्या, तंत्र में फैले भ्रष्टाचार से होने वाली मौतों और आत्मदाह (इच्छामृत्यु) के लिए सरकार और अफ़सरों के पास आ रहे आवेदनों के लिए कोसा जाएगा। डॉ. सिंह ने कहा कि अपने शासनकाल के दो वर्षों की उपलब्धियों का ढोल पीट रही प्रदेश सरकार को अपनी ज़मीनी सच्चाई का भान ही नहीं है। प्रदेश के आम नागरिकों के साथ-साथ अब तो निर्वाचित जनप्रतिनिधि भी संत्रस्त हो चले हैं।

भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने महासमुंद ज़िले के पिथौरा विकासखंड की ग्राम पंचायत पाटनदादर के आदिवासी सरपंच मोहन बरिहा के वायरल वीडियो का ज़िक्र किया जिसमें सरपंच बरिहा के अपनी पंचायत के पंचायत सचिव की मनमानी से हलाकान होने और ज़िला पंचायत व कलेक्टर तक शिकायत के बावज़ूद कार्रवाई नहीं होने पर आत्मदाह को अंतिम समाधान मानकर जनपद सीईओ को इच्छामृत्यु के लिए आवेदन दिए जाने का गंभीर ख़ुलासा हुआ है। पंचायत सचिव के क्रियाकलापों की जाँच करके कठोर सजा देने की मांग करते हुए डॉ. सिंह ने तंज कसा कि जिस कांग्रेस के सत्ताधीश अपने पूर्वजों के सशक्त पंचायती राज की अवधारणा तक का सम्मान करने में नाकारा साबित हो गए हैं, वे लोग आख़िर किस मुँह से अपने दो साल के शासनकाल को उपलब्धियों वाला बताकर ढिंढोरचियों की तरह शोर मचा रहे हैं?

भाजपा राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार ने अपनी वादाख़िलाफ़ी, धोखाधड़ी और छल-कपट की राजनीति करके हर वर्ग को संत्रस्त कर रखा है और अब एक आदिवासी जनप्रतिनिधि का इच्छामृत्यु के लिए आवेदन करना प्रदेश सरकार के पंचायती राज व्यवस्था के सशक्तिकरण के दावों को तो खोखला साबित कर ही रहा है, साथ ही लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था को लेकर कांग्रेस और उसकी सरकार की बदनीयती का ख़ुलासा करने के लिए पर्याप्त है। डॉ. सिंह ने कहा कि आदिवासियों के साथ तो प्रदेश सरकार ने हर क़दम पर छलावों की मिसाल खड़ी की ही है, पंचायतों में निर्वाचित आदिवासी जनप्रतिनिधियों को भी हताश-निराश करके रख दिया है। यह प्रदेश सरकार के कलंकित कार्यकाल का एक नमूना है।

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