शारीरिक और मानसिक विकास के लिए आयोडीन जरूरी

0

21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस

राज्य आईडीडी प्रयोगशाला में पिछले छह महीनों में नमक के 272 नमूनों की जांच

रायपुर : आयोडीन हमारी सेहत के लिए एक बेहद जरूरी माइक्रोन्यूट्रिएंट है। शरीर में थायरॉइड फंक्शन को सामान्य रखने तथा शारीरिक और मानसिक विकास के लिए यह जरूरी तत्व है। इसकी कमी से व्यक्ति घेंघा रोग से पीड़ित हो सकता है। दुनिया भर में लोगों को शरीर में आयोडीन की जरूरत और इसकी कमी से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरूक करने हर वर्ष 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस मनाया जाता है।

हमारे शरीर को आयोडीन मुख्यतः हमारे भोजन में शामिल नमक से मिलता है। शरीर को एक निर्धारित मात्रा में ही प्रतिदिन आयोडीन की जरूरत होती है। इसकी ज्यादा मात्रा नुकसानदेह होती है। रायपुर के पंडित जवाहर लाल नेहरू स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में स्थापित आईडीडी (Iodine Deficiency Disorder) प्रयोगशाला में बाजार में बिकने वाले तथा सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से आपूर्ति किए जा रहे नमक में आयोडीन की मात्रा की नियमित जांच की जाती है। पिछले छह महीनों (1 अप्रैल से 30 सितम्बर 2020) में यहां नमक के 272 नमूनों की जांच कर संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध कराया गया है।

प्रदेश में राष्ट्रीय आयोडीन अल्पता विकार नियंत्रण कार्यक्रम के अंतर्गत गठित आईडीडी सेल के माध्यम से आयोडीन की कमी से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों जैसे घेंघा रोग, बच्चों में मानसिक मंदता, अपंगता, गूंगापन, बहरापन, बार-बार गर्भपात तथा गर्भ में शिशु की मृत्यु की रोकथाम, नियंत्रण एवं निवारण के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। आईईसी गतिविधियों के जरिए लोगों को इस बारे में जागरूक भी किया जा रहा है। प्रदेश के शासकीय मेडिकल कॉलेजों, राज्य आईडीडी सेल, जिला एवं विकासखण्ड स्तर के नामांकित स्वास्थ्य अधिकारियों एवं यूनिसेफ के क्षेत्रीय कार्यालय के सहयोग से सभी जिलों में ग्वाइटर सर्वे संपन्न कराया गया है। इसके तहत छह वर्ष से 12 वर्ष तक के स्कूली बच्चों में आयोडीन अल्पता की जांच की गई है।

शरीर में आयोडीन को संतुलित बनाने का कार्य थाइरोक्सिन हार्मोंस करता है जो मनुष्य की अंतस्रावी ग्रंथि थायराइड ग्रंथि से स्रावित होती है। मानसिक मंदता की बड़ी वजह शरीर में आयोडीन की कमी होती है। गर्भवती महिला में आयोडीन की कमी होने से बच्चे के मानसिक और शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। वहीं बचपन में पूरा पोषण नहीं मिलने के कारण भी बच्चे इस तरह की बीमारियों से ग्रसित होते हैं। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी बौनापन, मृत शिशु के जन्म या गर्भपात का कारण हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान आयोडीन की थोड़ी कमी भी बच्चे की सीखने की क्षमता को प्रभावित कर सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed