गृहणी श्रीमती दुलेश्वरी बनी ई-रिक्शा चालक आगे खरीदेंगी कारराज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ’बिहान’ से हौसले को मिली उड़ान

0

रायपुर, 1 सितम्बर 2020/इरादे अगर मजबूत हो तो मंजिल मिल ही जाती है। अपने दृढ़ इच्छाशक्ति, हिम्मत एवं लगन की बदौलत राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम कोनारी की श्रीमती दुलेश्वरी देवांगन ने एक गृहिणी से ई-रिक्शा चालक का सफर तय किया है। ग्रामीण क्षेत्र में ई-रिक्शा चलाकर उन्होंने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश की है। उनके इस हौसले को राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ’बिहान’ ने संबल और सहयोग दिया है।  श्रीमती दुलेश्वरी देवांगन ने बताया कि बिहान समूह में जुड़ने के बाद वे ग्राम संगठन सहायिका और सक्रिय महिला के रूप में कार्य कर रही हैं। समूह मंे जुड़ने के पहले परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पहले परिवार के आय के साधन के रूप में छोटा सा किराना स्टोर और 1.50 एकड़ जमीन ही था। इससे प्राप्त आय से दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति मुश्किल से हो पाती थी। बिहान समूह से जुड़ने के बाद उन्हें जनपद पंचायत से ई-रिक्शा योजना की जानकारी मिली। ई-रिक्शा के लिए उनके द्वारा दिया गया आवेदन स्वीकृत हो गया। रिक्शा खरीदने के लिए उन्होंने 50 हजार रूपए का मुद्रा लोन स्टेट बैंक ऑफ इंडिया शाखा डोंगरगांव से लिया। रिक्शा का मूल्य 1 लाख 60 हजार रूपए था, जिसमें श्रम विभाग द्वारा उन्हें 1 लाख रूपए की सब्सिडी दी गई। श्रीमती दुलेश्वरी देवांगन को ई-रिक्शा चलाना सीखने के बाद क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय द्वारा ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान किया गया।  श्रीमती दुलेश्वरी देवांगन अब अपने गांव कोनारी से डोंगरगांव और ग्रामीण क्षेत्रों में ई-रिक्शा चलाने का कार्य कर रही हैं। स्कूल के दिनों में स्कूली बच्चों को स्कूल पहुंचाने का काम भी कर रही हैं। उनके ई-रिक्शा चलाने से ग्रामीण एवं सुदूर अंचलों में लोगों को आवागमन की सुविधाएं उपलब्ध हुई है। साथ ही महिलाओं की भागीदारी भी बढ़ी है। ई-रिक्शा से प्राप्त अतिरिक्त आय से उन्होंने अपने किराना स्टोर का विस्तार कर साथ में फैन्सी स्टोर भी शुरू कर दिया है। अब उन्हें ई-रिक्शा से लगभग 10 हजार रूपए प्रतिमाह की आमदनी हो जाती है। किराना दुकान के विस्तार से 12 हजार रूपए कर प्रतिमाह आमदनी होने लगी है। इस तरह उनकी आमदनी 2 लाख 64 हजार रूपए वार्षिक तक बढ़ गयी है। उन्होंने बताया कि ई-रिक्शा के सफल संचालन के बाद वह कार लेना चाहती हैं। साथ ही स्व-सहायता समूह सदस्यों के साथ मिलकर मशरूम उत्पादन का कार्य करना चाहती है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed