उपार्जन केंद्रों में सड़ रहे धान के लिए शासन स्वयं जिम्मेदार : भाजपा

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बजाज एवं देवजी ने खाद्य विभाग के विशेष सचिव का बयान को बताया गैर जिम्मेदाराना

रायपुर। भाजपा सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक एवं धरसींवा के पूर्व विधायक देवजी पटेल ने उपार्जन केन्द्रों में बरसात में सड़ रहे धान के लिए सोसाइटियों को जिम्मेदार ठहराये

जाने पर खाद्य विभाग के विशेष सचिव के बयान को गैरजिम्मेदाराना करार दिया है। नेताद्वय ने कहा कि पूरे प्रदेश में 4 लाख क्विंटल से ज्यादा धान अभी भी उपार्जन केन्द्रों में पड़ा है, जिसकी कीमत लगभग 100 करोड है। उन्होंने कहा कि धान खरीदी के पूर्व शासन और सोसाइटी में अनुबंध हुआ है कि बम्फर स्टॉक होने के 72 घंटे के अंदर धान का उठाव कर लिया जावेगा लेकिन शासन की एजेन्सी मार्कफेड ने अनुबंध का पालन नहीं किया, इसलिए उपार्जन केन्द्रों में धान अभी भी पड़ा हुआ है। राज्य शासन द्वारा धान की सुरक्षा एवं रख-रखाव के लिए मात्र 3 रूपये प्रति क्विंटल दिया जाता है, जो कि पर्याप्त नहीं है। इसी प्रकार शासन प्रासंगिक व्यय के रूप में मात्र 9 रूपये प्रति क्विंटल प्रदान करती है। यानी शासन प्रासंगिक व्यय एवं रख-रखाव के लिए कुल 12 रूपये प्रति क्विंटल देती है, जबकि सोसाइटियों को दुगना खर्च होता है। विषेष सचिव द्वारा यह बयान दिया गया है कि सोसाइटियों को प्रति क्विंटल 50 रूपये प्रदाय किया जाता है। भाजपा नेताओं ने कहा कि खाद्य सचिव स्पष्ट करें कि राज्य शासन ने किस-किस सोसाइटी को 50 रूपये प्रति क्विंटल की दर से प्रासंगिक व रख-रखाव मद में प्रदान किया है. उन्होंने कहा कि शासन की उदासीनता एवं लापरवाही के चलते किसानों के मेहनत की उपज ना केवल उपार्जन केंद्रों बल्कि संग्रहण केंद्रों में बर्बाद हो रही है.

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