भारत चीन के बीच सीमा विवाद से गहराया एक्सपोर्ट

0

बंदरगाह पर अटका छत्तीसगढ़ का 5000 टन चरोटा

चीन, ताइवान, मलेशिया और जापान को किया जा रहा था निर्यात


(रूपेश वर्मा)

अर्जुनी – भारत चीन सीमा विवाद के बीच छत्तीसगढ़ से चीन के साथ मलेशिया, ताइवान और जापान के लिए निर्यात किया गया चरोटा गुजरात के सूरत और महाराष्ट्र के मुंबई बंदरगाह पर रोक दिया गया है क्योंकि इन देशों के लिए शिप नहीं लग रही है। छत्तीसगढ़ से भेजे गए चरोटा के अंतिम खेप की मात्रा 5000 टन बताई जा रही है।
औषधीय गुणों से भरपूर भारतीय चरोटा का हमेशा से चीन, मलेशिया, ताइवान और जापान बड़ा ग्राहक रहा है। इस बीच जापान से छत्तीसगढ़ और झारखंड को और बड़ा ऑर्डर मिला। खासकर छत्तीसगढ़ ने मांगी गई गुणवत्ता के अनुरूप निर्यात को ज्यादा प्रमुखता मिलती देख जापान तक अपना उत्पादन पहुंचाने में सफलता पाई। अब सीमा पर घुसपैठ और दोनों सेनाओं के बीच झड़प के बाद बाजार पर असर पड़ना चालू हो चुका है। एक तरफ देश में चीनी सामानों का बहिष्कार किया जा रहा है तो निवेश रोके जाने की खबरें भी आ रही है। जवाब में चीन ने भारत से खरीदे गए चरोटा का आयात रोक दिया है। ऐसे में मुंबई और गुजरात के बंदरगाह में चरोटा की बड़ी मात्रा विवाद खत्म होने का इंतजार कर रही है।

अटका 5000 टन चरोटा-


इस बार चीन जापान मलेशिया और ताइवान ने मिलकर छत्तीसगढ़ से करीब 30000 टन चरोटा आयात को मंजूरी दी थी। इसका सबसे बड़ा लाभ प्रदेश के चरोटा संग्राहकों को मिला। गांव गांव से संग्रहण की मात्रा निर्यातकों तक पहुंचने के बाद इसकी ग्रेडिंग करवाई गई। गुणवत्ता के हिसाब से पैकिंग हुई और निर्यातक देशों को निर्यात के लिए बंदरगाहों तक पहुंचा दी गई। मार्च तक तो ठीक चला लेकिन कोरोना वायरस ने सबसे पहले बाधा डाली। अब सीमा विवाद ने शेष मात्रा को शिप पर चढ़ाने से रोक दिया है। यह मात्रा 5000 टन की बताई जा रही है।

खोज रहे दूसरा मार्ग-


चीन को दी गई मात्रा में अब कटौती करने के संकेत मिल रहे हैं। निर्यातक जिस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं उसके बाद ताइवान, मलेशिया और जापान के लिए दूसरे मार्ग की खोज की जा रही हैं ताकि यह शेष मात्रा इन देशों तक पहुंचाई जा सके। इस संबंध में संबंधित मंत्रालय से संपर्क साध कर एक्सपोर्ट का आर्डर पूरा करने में मदद मांगी जा रही है।

भुगतान भी अटका-


जितनी मात्रा भेजी जा चुकी है वह भी संकट में फंसा दिखाई दे रहा है क्योंकि विवाद ने भुगतान की व्यवस्था पर भी रोक लगा दिए हैं। निर्यातक प्रयास में है कि जो माल बंदरगाहों में अटका हुआ है उसे किसी तरह वापस मंगा लिया जाए साथ ही विदेशी व्यापार का मामला संभाल रहे मंत्रालय से भी अटके भुगतान के लिए मदद मांगी जाए।

लोकल डिमांड नहीं-


निर्यात पर ब्रेक के बाद देश की औषधि निर्माता कंपनियों की खरीदी पर भी असर दिखाई दे रहा है। सीमित बाजार, सीमित मांग के बाद देश की औषधि निर्माता इकाइयों ने भी खरीदी कम करनी चालू कर दी है। इसका असर कीमतों पर पड़ने लगा है। जिस चरोटा को निर्यातकों ने 13 सौ से 14 सौ रुपए क्विंटल की दर पर खरीदा था उसकी कीमत अब 11 सौ रुपए पर आ गई है।

इनका कहना है

1,
सीमा विवाद के बाद बंदरगाहों में निर्यातक देशों के लिए शिप नहीं लग रही है। ऐसी स्थिति में लगभग 5000 टन चरोटा डंप हो चुका है। दूसरे मार्ग की तलाश की जा रही है और संबंधित मंत्रालय से मदद मांगी जा रही है।

सुभाष अग्रवाल, संचालक, एसपी इंडस्ट्रीज रायपुर


2,सीमा विवाद के बाद निर्यातक देशों की शिपें नहीं लग रही है। जो माल जा चुका है उसके भुगतान में भी संकट आ चुका है। वैकल्पिक मार्ग की तलाश जारी है ताकि निर्यात का आर्डर पूरा किया जा सके और रुका भुगतान मिल सके।

भूपेंद्र चंदेरिया, बाहुबली इंडस्ट्रीज बिलासपुर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *