भाजपा आदिवासी वर्ग से नया नेतृत्व उभरने नहीं देना चाहती – कांग्रेस

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रायपुर 04 जून 2020। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि विष्णुदेव साय को भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने तीसरी मर्तबा छत्तीसगढ़ भाजपा का अध्यक्ष बनाया है। कांग्रेस पार्टी और प्रदेश के मुखिया एवं लोकप्रिय मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने उनकी नियुक्ति पर बधाई दी है, स्वागत किया है, और उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित की है ।कांग्रेस का मानना है, कि भाजपा अपनी पार्टी में किसकी नियुक्ति करती है उससे उनका कोई लेना-देना नहीं है और ना ही भाजपा के संगठन से संबंधित अंदरूनी मामलों में उनकी कोई रुचि है। लेकिन एक ही व्यक्ति को प्रदेश का बार-बार अध्यक्ष बनाए जाने पर भाजपा की मंशा और आदिवासी वर्ग में नया नेतृत्व खड़ा ना होने देने की भाजपा की नियत पर अवश्य सवाल उठता है।
प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि भाजपा आदिवासी चेहरा आगे रखकर केवल लाभ लेना चाहती है। यह डॉ० रमन सिंह के 15 वर्षों के शासनकाल में राज्य की जनता को स्पष्ट रूप से पता चल चुका है। इसी का परिणाम यह हुआ है, कि भाजपा की सरकार छत्तीसगढ़ में धराशाई हो गई है। वर्तमान में भी भाजपा के भीतर गुटबाजी और खेमेबाजी का यह आलम है कि छत्तीसगढ़ राज्य इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष विक्रम उसेंडी अपने 15 माह के कार्यकाल में अपने स्वयं के जिला सहित 11 जिलों में जिला अध्यक्षों एवं विभिन्न प्रकोष्ठ की नियुक्ति नहीं कर पाए। भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ में गुटबाजी के चलते पूरी तरह से बिखर चुकी है, उनकी संगठन क्षमता खात्मे की ओर है, कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ है और निराशा और हताशा से पार्टी भरी हुई है। यही वजह है कि एक बार फिर से पार्टी में “नयी टीम – नया चेहरे“ का फर्जी नारा देकर जान फूंकने की नाकाम कोशिशें हो रही है। भाजपा में आदिवासी वर्ग से ना चेहरों की कमी है, ना योग्यता की और ना ही प्रतिभा की कमी है। नए लोगों को आगे लाकर पार्टी पहचान दे सकती थी। लेकिन एक ही व्यक्ति को बार-बार शायद तीसरी बार अध्यक्ष बनाकर ढेर सारे प्रतिभावान लोगों की नेतृत्व क्षमता को भाजपा नेतृत्व ने रोकने का काम है। ताकि गुटबाजी में हावी लोग राज्य में अपनी पकड़ बनाए रख सकें।

भाजपा संगठन पर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि भाजपा की नीतियों, योजनाओं को अब हर वर्ग का नागरिक समझ चुका है और हर वर्ग के लोग भाजपा की साजिशों के प्रति सचेत हो चुके हैं। संगठन हो या सत्ता में हों, भाजपा केवल गुमराह करने वाली एवं अहंकार से भरी हुई पार्टी रह गई है। भाजपा कहती कुछ है और करती कुछ है, यही उनकी महत्वपूर्ण नीति है।आदिवासी वर्ग विशेष रूप से समझ गया है कि उन्हें सत्ता और संगठन से सदैव दूर रखने का प्रयास किया जाता है और नेतृत्व को उभरने ना देकर उन्हें आपस में लड़ाया जाता है। और गुमराह किया जाता रहा।

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