कर्नाटक में प्रदेश के प्रवासी मजदूरों से पंजीयन के बाद संवाद ही बंद करना अमानवीयता का प्रतीक : भाजपा

0

0 विवश 39 मजदूर अंतत: दो गर्भवती महिलाओं व पाँच मासूमों के साथ छत्तीसगढ़ के लिए पैदल ही निकल पड़े

रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता सच्चिदानंद उपासने ने घर वापसी के ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराने के 10 दिनों के बाद तक छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कर्नाटक में फंसे प्रदेश के 39 श्रमिकों से संवाद ही बन्द कर देने पर हैरत जताई है। श्री उपासने ने कहा कि देशभर में प्रवासी मजदूरों के नाम पर राजनीति कर रही कांग्रेस छत्तीसगढ़ की अपनी सरकार के इस अमानवीय आचरण पर मौन है।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा पंजीकृत मजदूरों से संवाद बन्द कर देने और किसी तरह का सन्देश नहीं मिलने से निराश मजदूर कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले से हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर छत्तीसगढ़ के लिए पैदल ही निकल पड़े हैं। इनमें दो गर्भवती महिलाएँ और पाँच मासूम बच्चे भी हैं। श्री उपासने ने बताया कि इन मजदूरों ने 9 और 10 मई को अपनी वापसी के लिए सरकारी वेबसाइट पर पंजीयन कराया था जिसका सन्देश भी उन्हें मिला, लेकिन उसके बाद ट्रेन के सम्बन्ध में उन्हें कोई सन्देश नहीं मिला। इन मजदूरों ने नोडल अधिकार और हेल्पलाइन नम्बरों पर बार-बार फोन से सम्पर्क किया लेकिन उन्हें कोई सन्तोषजनक जवाब नहीं मिला। बाद में 17 मई को उन मजदूरों ने बस से निकलने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। अन्ततः वे 19 मई को पैदल ही छत्तीसगढ़ के लिए निकल पड़े।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री उपासने ने कहा कि प्रदेश सरकार छत्तीसगढ़ के अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी श्रमिकों के साथ जिस तरह का बर्ताव कर रही है, वह अमानवीयता की पराकाष्ठा है। प्रवासी मजदूरों के नाम पर ओछे राजनीतिक हथकण्डों का इस्तेमाल कर कांग्रेस एक ओर जहाँ देशभर में इस मुद्दे पर केन्द्र सरकार को दोषी ठहराने के लिए प्रलाप कर रही है और सियासी नौटंकियाँ कर प्रवासी मजदूरों की सहानुभूति पाने के हास्यास्पद उपक्रम कर रही है, वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ सरकार के प्रवासी मजदूरों के प्रति बर्ताव को लेकर कांग्रेस का केन्द्रीय से लेकर प्रादेशिक नेतृत्व तक मौन साधे बैठा है। यह कांग्रेस के दोहरे राजनीतिक चरित्र का परिचायक है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *