देश में लाखो टन खाद्यान्न का अतिरिक्त भंडारण है, अनाज सड़ रहे हैं। किंतु गरीबों को बांटने में केंद्र सरकार आनाकानी कर रही।

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रायपुर/ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि वैश्विक कोरोना जिसका बचाव ही उपचार है, उससे निपटने में महीनों लगना स्वाभाविक है। ऐसी दशा में गोदामों में भरे पड़े अनाज को इमानदारी से जरूरतमंदों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है। देश में लाखों मीट्रिक टन खाद्यान्न का अतिरिक्त भंडारण होने के बाद भी आगामी तीन माह के लिए गरीबों और मजदूरों को हर महीने बीस से तीस किलो अनाज का निशुल्क वितरण करने का निर्णय नहीं लिया जाना और उस अतिरिक्त भंडारण का उपयोग अन्य कार्य में किया जाना देश की जनता का ना सिर्फ अपमान है, अपितु गरीबों के जीवन के साथ खिलवाड़ भी है।

अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष एवं सांसद राहुल गांधी की चिंता को उचित ठहराते हुए प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि सरकार का कदम केवल अमीरों की रक्षा करना और गरीबों की आवश्यकताओं को नजरअंदाज करने वाला है। उन्होंने अनाज के अतिरिक्त भंडार को देश के गरीबों के चूल्हे तक शीघ्र पहुंचाए जाने के लिए निर्णय लिए जाने की मांग की है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि देश में खाद्यान्न का सार्थक उपयोग नहीं हो रहा है।हर वर्ष दस लाख टन अनाज चूहे खा जाते हैं। उचित भंडारण नहीं होने से, कीड़ों से, चूहों और वर्षा के कारण करोड़ों का अनाज नष्ट हो जाता है।भारत में अनाज का इतना भंडार है कि पूरे विश्व का पेट 6 माह तक आसानी से भरा जा सकता है। लेकिन सरकार की इच्छाशक्ति में कमी, दूरदष्टि नहीं होने और निर्णय लेने में अक्षमता की स्थिति के कारण व्यापक भुखमरी की स्थिति को निमंत्रित किया जा रहा है।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है, कि भारत में केवल 7 करोड़ टन अनाज को ही कवर्ड रखा जाता है बाकी अनाज कैंप में रखे जाते हैं। अब रवि फसल की कटाई प्रारंभ हो चुकी है और रिकॉर्ड पैदावारी का आकलन कृषि विभाग ने किया है ऐसी स्थिति में आने वाले कुछ दिनों में खाद्यान्नों को फिर से गोदामों में रखा जाना है। फिर क्यों अतिरिक्त राशन को चूहों के खाने, नुकसान पहुंचने तथा सड़ने के लिए खुले में छोड़ा जाना चाहिए। कांग्रेस की मांग है कि सबसे पहले इसे गरीबों की चौखट तक पहुंचाया जाए ताकि लाकडाउन खुलने के बाद महामारी से लंबी अवधि तक जुझने में गरीबों के लिए गोदामों में अतिरिक्त भंडारण का राशन सहायक बन सके।

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