हाईकोर्ट की फटकार के बाद भी रायपुर-बिलासपुर मार्ग में चले रहे धीमी गति के निर्माण कार्य में कोई सुधार नहीं – कांग्रेस

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पीडब्ल्यूडी में निर्धारित समय सीमा पर नहीं हो रहा कार्य पूर्ण, निर्माण एजेंसियों पर विभाग का कोई नियंत्रण नहीं 

17 वर्षो में  भी राजधानी से न्यायधानी तक सुगम यातायात उपलब्ध करा पाने में सरकार नाकाम

jogi express 


रायपुर/प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम 
ने कहा कि रायपुर से बिलासपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में फोरलेन सड़क निर्माण का कार्य एक पहेली बना हुआ है। निर्धारित अवधि से 54 माह के विलंब से चल रहे इस कछुआ गति के निर्माण कार्य पर माननीय हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जताई है और संबंधित निर्माण एजेंसियो को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब देने का आदेश पारित किया है। निश्चित रूप से यह राहत प्रदान करने वाली खबर है क्योंकि सरकार का इन निर्माण एजेंसियो पर कोई नियंत्रण ही नहीं रह गया है, और सड़को को जिस तरह से ठेकेदारों द्वारा खोद कर रख दिया है, उसके गड्ढो को लेकर लोग हलाकान है। जिससे 125 किलोमीटर की यात्रा 4 से 5 घंटों में मुसीबतों एवं कठिनाईयों के साथ तय करनी पड़ रही है। मार्गो के दोनों ओर रहने वाले गांव वालो को भी कोर्ट के हस्ताक्षेप से राहत भरी खबर मिली है क्योंकि धूल और प्रदूषण से उनका जीवन दूभर हो गया है। विडंबना है कि रायपुर से बिलासपुर के 125 किलोमीटर मार्ग को बनाने के लिये 17 वर्षो से प्रयास हो रहे है लेकिन सरकार की उदासीनता और लापरवाही का आलम यह है कि सड़क बनती ही नहीं है। अब कोर्ट की दखल के बाद सुगम यातायात की उम्मीद अवश्य जागृत हुई है।
सबसे बड़ी समस्या यह है कि सरकार मूकदर्शक बनी हुई और जनता परेशानी में है। सवाल यह उठ रहा है कि ठेकेदारों को जब 18 माह की समयावधि दी गयी है और इस समय सीमा में उनके द्वारा कार्यपूर्ण करने का अनुबंध किया गया है, तब 54 माह का समय बीत जाने पर भी कुल कार्य का 30 प्रतिशत ही क्यों हो पाया है? जबकि कार्य की लागत विलंब के कारण 9 सौ करोड़ से बढ़कर 1266 करोड़ होना बताया गया है। निर्माण कार्य के धीमी गति को लेकर अब हाईकोर्ट की नाराजगी से काम में गति आने की उम्मीद बनी है।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मो. असलम ने कहा कि रायपुर-बिलासपुर सहित प्रदेश के अन्य मार्गो में विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत चल रहे निर्माण कार्यो की उचित देखरेख (प्रापर मानिटिरिंग) नहीं हो रही है। कोर्ट के स्पष्ट निर्देश के बाद भी फ्लाईएश का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और मुरम, मिट्टी, स्टोनडस्ट डालकर लीपापोती की जा रही है। जिससे मार्गो की गुणवत्ता का सहज आकलन किया जा सकता है। क्वालिटी से समझौता किया जा रहा है और मोटा मुनाफा कमाने को लेकर मिलीभगत एवं हेराफेरी कर मार्गो को अंतिम रूप दिया जा रहा है। सड़कों के खराब होने एवं शिकायत के बाद भी उसके रखरखाव पर विभाग द्वारा चुप्पी साधी जाती है। मुख्यमंत्री द्वारा लोकसुराज अभियान में जिस तरह का तेवर दिखाया गया था और शिकायत मिलने पर महासमुंद जिले में सरायपाली के लोकनिर्माण विभाग के एसडीओ को तत्काल निलंबित कर मुख्यालय अटैच किया था। अब ऐसी कार्यवाही देखने को नहीं मिल रही है। सरकार की उदासीनता एवं लापरवाही से प्रदेश में 18 हजार 279 करोड़ की लागत से चल रहे 5376 किलोमीटर की सड़कों का निर्माण कार्य, जिसमें 26 राष्ट्रीय राजमार्गो सहित 360 सड़को का कार्य शामिल है, मार्च 2018 तक गुणवत्ता के साथ समय सीमा में पूर्ण हो पाये यह संभावनायें नहीं दिखती है। इसके अलावा 144 पुलो और फ्लाईओवर्स का भी निर्माण कार्य किया जाना है। कांग्रेस ने कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार के साथ-साथ क्वालिटी को नजर अंदाज करने एवं मिलीभगत का आरोप लगाया है और मार्गो की खस्ता हालत एवं घटिया निर्माण कार्य पर चिंता व्यक्त करते हुये सुधार की मांग की है।

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