10 प्रतिशत EWS आरक्षण पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब

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भोपाल
मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में 10 फीसदी ईडब्लूएस (EWS) आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने अहम आदेश सुनाया है. जबलपुर हाईकोर्ट ने ईडब्लूएस आरक्षण के तहत होने वाली तमाम भर्तियों को अपने अंतिम फैसले के अधीन कर दिया है. हाईकोर्ट ने केन्द्र और राज्य सरकार सहित राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग और मध्यप्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग के खिलाफ भी नोटिस जारी किया है और उनसे जवाब मांगा है.

हाईकोर्ट में ये याचिका ओबीसी वर्ग के 5 छात्रों की ओर से दायर की गई है. याचिका में राज्य सरकार द्वारा 2 जुलाई 2019 से लागू किए गए ईडब्लूएस आरक्षण की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है. याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने 10 फीसदी ईडब्लूएस आरक्षण से एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को बाहर कर दिया है जिसे संवैधानिक नहीं माना जा सकता.

याचिका में कहा गया है प्रदेश में एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग की आबादी 87 फीसदी है जबकि अल्पसंख्यक आबादी 5 फीसदी और सामान्य वर्ग की आबादी 8 फीसदी है. ऐसे में 8 फीसदी आबादी को 10 फीसदी ईडब्लूएस आरक्षण देने को याचिका में चुनौती दी गई है. याचिका में ये भी कहा गया है कि एससी-एसटी और ओबीसी वर्ग के गरीब लोगों को भी ईडब्लूएस आरक्षण का लाभ दिया जाए अन्यथा इसे सुप्रीम कोर्ट की गाईडलाईन के मद्देनजर खारिज कर दिया जाए. क्योंकि 10 फीसदी ईडब्लूएस आरक्षण से प्रदेश में आरक्षण की सीमा अधिकतम 50 से बढ़कर 60 फीसदी हो गई है.

बहरहाल, हाईकोर्ट ने याचिका को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश में ईडब्लूएस कोटे में हुई तमाम भर्तियों को याचिका पर अपने अंतिम फैसले के अधीन कर दिया है और मामले पर केन्द्र और राज्य सरकार सहित पिछड़ा वर्ग आयोग से जवाब मांगा है. मामले पर अगली सुनवाई 13 मार्च को की जाएगी.

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