डॉग होगा केकला, मंकी बनेगा माकड़, अब कुछ इस तरह इंग्लिश पढ़ेंगे ‘कमार बच्चे’

0

धमतरी
दुनिया जहां एक तरफ 5जी की रफ्तार से ग्लोबल विलेज (Global Village) बनने की कगार पर है. वहीं कमार जनजाति आज भी अपने फॉरेस्ट विलेज (Forest Village) की छोटी सी दुनिया तक ही सीमित है. आज भी इस जनजाति के लोग शिकार और शराब से ही जीवन यापन करते हैं. आज तक ये अशिक्षित है. इसके पीछे एक बड़ा कारण भाषा और बोली का फर्क भी रहा है. लेकिन अब भाषा और बोली की खाई भी पाटने की तैयारी की जा रही है. कमारों को उन्हीं की बोली में शिक्षा देने की पहल सरकार करने जा रही है. पिछड़े और विलुप्त होने के खतरे में पड़े कमार जाति (Kamar Tribe) के लोगों को अब शिक्षा के जरिए दुनिया से जोड़ने की पहल की सरकार करेगी. जानकारी के मुताबिक, धमतरी (Dhamtari) जिले में इसके लिए खास पाठ्यक्रम और विशेष प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती भी की गई है.

मालूम हो कि धमतरी में कमार जनजाति के लोग मूलत: शिकारी कहलाते हैं. ये जंगलों में रहते हैं और शराब बनाते हैं. इस जनजाति के लोग ज्यादातर जंगलों पर ही निर्भर रहते हैं. एक समय पर ये विलुप्ति की कगार पर थे. लेकिन इन्हें बचाने के लिए सरकार ने कई पहल किए. इन्हें विशेष संरक्षित घोषित किया गया और इनके नसबंदी पर प्रतिबंध लगाया ताकि जनसंख्या बढ़ सके. इस जनजाति की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने फिर कई योजनाएं चलाई. अब सरकार इनके शैक्षिक और सामाजिक उत्थान की दिशा में काम करने की तैयारी में. कमार बच्चों को पढ़ाने के लिए हिंदी भाषा में तैयार स्कूल पाठ्यक्रम का कमारी बोली में अनुवाद किया जा रहा है. इसके लिए कमार जाति के लोगों की ही मदद ली जा रही है. दावा किया जा रहा है कि अब तक कुल 80 प्रशिक्षित शिक्षकों की भर्ती भी कर ली गई है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *