भारती इंफ्राटेल-इंडस के विलय को मंजूरी! देशभर में होंगे 1.63 लाख टावर

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नई दिल्‍ली

देश की सबसे बड़ी मोबाइल टावर कंपनी इंडस टावर्स का भारती इंफ्राटेल के साथ विलय होगा. इस विलय को दूरसंचार विभाग ने मंजूरी दे दी है. इस विलय के बाद बनने वाली संयुक्त कंपनी के पास देशभर में 1,63,000 से अधिक दूरसंचार टावर हो जाएंगे. वहीं ये संयुक्त कंपनी चीन को छोड़ दुनिया की सबसे बड़ी टावर कंपनी हो जाएगी. न्‍यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक संयुक्त कंपनी घरेलू शेयर बाजारों में सूचीबद्धता जारी रखेगी.

इस बीच, भारती इंफ्राटेल ने बताया कि विलय की मंजूरी के बाद आगे के कदमों पर निर्णय लेने के लिए 24 फरवरी को निदेशक मंडल की बैठक होगी. कंपनी ने बीएसई को बताया कि निदेशक मंडल की 24 फरवरी को बैठक होगी जिसमें आगे के कदमों के बारे में निर्णय लिये जाएंगे.

एयरटेल और वोडा-आइडिया के लिए उम्‍मीद

बहरहाल, योजना के मुताबिक संयुक्त कंपनी के पास भारती इंफ्राटेल और इंडस टावर्स के कारोबार का पूर्ण स्वामित्व होगा. इंडस टावर्स में अभी भारती इंफ्राटेल और वोडाफोन समूह की 42-42 प्रतिशत हिस्सेदारी है. इसमें वोडाफोन-आइडिया की भी 11.15 प्रतिशत हिस्सेदारी है. यही वजह है कि इस सौदे का समय पर पूरा होना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इससे भारती एयरटेल और वोडाफोन- आइडिया के लिए कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बेचकर पैसे जुटाने के विकल्प खुलेंगे.

AGR को लेकर दबाव में टेलीकॉम कंपनियां

दरअसल, सरकार के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (AGR) बकाये को लेकर टेलीकॉम कंपनियां काफी दबाब में हैं. कई साल पुराने मामले में वोडाफोन-आइडिया और भारती एयरटेल समेत अन्‍य टेलीकॉम कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रुपये चुकाने हैं. इसमें वोडाफोन-आइडिया के ऊपर 53 हजार करोड़ रुपये का एजीआर बकाया है.

इसी तरह, एयरटेल पर 35 हजार करोड़, टाटा टेलिसविर्सिज पर 13,800 करोड़और बीएसएनएल पर 4,989 करोड़ के अलावा एमटीएनएल पर 3,122 करोड़ रुपये का बकाया है. इस बकाये में से एयरटेल ने 10 हजार करोड़ जबकि वोडाफोन-आइडिया ने 3500 करोड़ रुपये दिए हैं.

 

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