कमलनाथ सरकार ने टाला मंदिरों की ज़मीन बिल्डर्स को बेचने का फैसला, कैबिनेट में नहीं आया प्रस्ताव

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भोपाल
कमलनाथ सरकार (kamalnath government) ने फिलहाल मंदिरों की ज़मीन बिल्डर्स को बेचने का फैसला टाल दिया है. आज हुई कैबिनेट (cabinet meeting) की मीटिंग में ये प्रस्ताव रखे जाने की चर्चा थी. बैठक तो हुई लेकिन ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया. सरकार के प्रस्ताव की सुहबुगाहट के बीच ही बीजेपी ने इसका तीव्र विरोध शुरू कर दिया था.

कमलनाथ कैबिनेट की बुधवार को होने वाली बैठक में मंदिरों की ज़मीन बिल्डर्स को बेचने का प्रस्ताव आने की चर्चा थी. भनक लगते ही बीजेपी ने इसका विरोध शुरू कर दिया.लेकिन बैठक में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया. उल्टा कांग्रेस के मीडिया प्रभारी नरेन्द्र सलूजा ने ट्वीट कर ऐसे किसी फैसले का खंडन कर बीजेपी नेताओं पर तंज कसा. सलूजा ने लिखा-मंदिरों की ज़मीन बेचने का ना कोई निर्णय लिया है और ना केबिनेट में इस तरह का कोई प्रस्ताव पास हुआ है.भाजपा नेता झूठ बोलने, सरकार को कोसने और हिंदू विरोधी बताने में माहिर हो गए हैं?उमा भारतीजी व नरोत्तम मिश्रा ने तो बयान तक दे डाले.कितनी जल्दी में हैं भाजपाई.

चर्चा थी कि मंदिरों की ऐसी ज़मीन बिल्डर्स को बेची जाएगी जिन पर बेजा कब्ज़ा है. उस पर बिल्डर मकान-दुकान कुछ भी बना सकेंगे. इससे मिलने वाला पैसा तीन हिस्सों में बांटा जाएगा. 20 फीसदी मंदिर, 30 फीसदी जिला स्तर और 50 फीसदी राज्य स्तर के देवस्थान कोष में जमा होगा. सरकार केवल जमीन देगी. उस पर मकान-दुकान या बिल्डिंग बिल्डर अपने खर्च पर बनवाएगा. बिल्डर अपनी मर्जी के मुताबिक उस जमीन पर फ्लैट, डुप्लेक्स, दुकान, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स सहित दूसरा कर्मिशियल निर्माण कर सकता है.

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