केंद्रीय करों से मिलने वाले राजस्व में कटौती से प्रदेश सरकार टेंशन में, फंडिंग में जुटा वित्त विभाग

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भोपाल
मध्यप्रदेश को केंद्रीय करों से मिलने वाले राजस्व में 14233 करोड़ रुपए की कटौती किए जाने के बाद प्रदेश सरकार टेंशन में है। वित्त विभाग के अफसर अब 31 मार्च तक दो माह के लिए प्रदेश सरकार का खर्च चलाने के लिए फंडिंग में जुट गए हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार मध्यप्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार रहने के दौरान हर साल केंद्रीय राजस्व बढ़ाकर दे रही थी लेकिन कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनने के बाद इसमें भारी कटौती कर दी गई है। इस कटौती ने राज्य सरकार का बजट संतुलन गड़बड़ा दिया है।

केंद्र सरकार से पिछले पांच सालों में मिलने वाले राजस्व की पड़ताल करने के बाद यह बात सामने आई है कि वर्ष 2018-19 में केंद्र से राज्य को 104377 करोड़ रुपए मिले थे जो चालू साल में 31 जनवरी तक 82510 करोड़ रुपए तक ही पहुंचे हैं। केंद्रीय बजट में की गई 14233 करोड़ रुपए की कटौती ने इस साल के पूरे बजटीय आंकलन को गड़बड़ा दिया है। इससे सरकार की टेंशन बढ़ गई है।  इसके पहले वर्ष 2017-18 में 88326 करोड़, वर्ष 2016-17 में 74210 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 60142 करोड़ रुपए का राजस्व केंद्र से एमपी को मिला था जो साल दर साल बढ़ता रहा है।  चालू वित्त वर्ष में 31 जनवरी तक केंद्र से सरकार को 26067 करोड़ रुपए मिलना थे लेकिन इस अवधि तक 21058 करोड़ रुपए ही मिल सके हैं। इस तरह 5009 करोड़ कम मिले हैं।

केंद्र सरकार ने जुलाई 2019 में पेश किए गए बजट में केंद्रीय करों से मध्यप्रदेश को मिलने वाले राजस्व में 2677 करोड़ की कटौती कर दी थी। एक फरवरी को पेश किए गए 2020-21 के केंद्रीय बजट में एमपी के हिस्से के कर राजस्व में 11556 करोड़ रुपए भारी कटौती की घोषणा हुई है। चालू वित्त वर्ष में केंद्रीय करों से एमपी को 63751 करोड़ रुपए मिलने का प्रस्ताव था जो जुलाई में ही 61 हजार 74 करोड़ कर दिया गया था।

अब इसमें भी बड़ी कटौती हो गई। हालांकि वित्त विभाग के अफसरों के समक्ष अभी यह स्थिति साफ नहीं हुई है कि करों से मिलने वाले राजस्व में किस कर के बदले कितनी राशि की कटौती की गई है पर इस कटौती ने प्रदेश सरकार का वित्तीय संकट गहरा दिया है। कुल मिलाकर चालू साल में 14233 करोड़ रुपए केंद्र से करों के राजस्व के रूप में एमपी को कम मिलेंगे, यह तय हो गया है। अब तक केंद्रीय करों के राजस्व का 42 प्रतिशत हिस्सा एमपी को मिलता था पर आने वाले वित्त वर्ष में यह 41 प्रतिशत ही होगा जिसका असर अगले वित्त वर्ष में दिखेगा।

प्रदेश के वित्त विभाग के अफसरों का अनुमान था कि केंद्र सरकार 9 हजार करोड़ तक की कटौती कर सकती है लेकिन केंद्र ने इसे ढाई हजार करोड़ और बढ़ा दिया। उधर वित्त अफसरों को केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं स्वच्छ भारत मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना, अमृत योजना, आंगनबाड़ी कार्यक्रम और पोषण आहार कार्यक्रम के लिए राज्यांश की भी चिंता करनी होगी। इसकी व्यवस्था नहीं हुई तो केंद्र अपने हिस्से की राशि रोक देगा।

राज्य सरकार द्वारा दिसंबर 2018 से 15 जनवरी 2020 तक 21 हजार 810 करोड़ का लोन लिया जा चुका है। इस अवधि में 23 बार लिए गए कर्ज में 16 बार एक हजार करोड़ कर्ज लिया गया है। राज्य सरकार पर 31 मार्च 2019 की स्थिति में 1 लाख 80 हजार 988 करोड़ रुपए का कुल कर्ज है। बजट का 8.07 प्रतिशत यानी 12 हजार 867 करोड़ रुपए ब्याज का चुकाया जा रहा है। इस वित्तीय वर्ष में 14 हजार 432 करोड़ रुपए ब्याज जाएगा जो बजट का 8.05 प्रतिशत रहेगा।

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