दवाओं के भ्रामक विज्ञापन देने पर 10 लाख रुपए जुर्माना, 2 साल जेल!
नई दिल्ली
दवाओं के असर के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर प्रचार करने वाली दवा कंपनियों या व्यक्तियों को भारी जुमार्ना और जेल की सजा का सामना करना पड़ेगा। ड्रग्स ऐंड मैजिक रेमेडीज (आॅब्जेक्शनेबल ऐडवर्टाइजमेंट) ऐक्ट 1954 के प्रस्तावित संशोधन में ये बातें कहीं गई हैं। प्रस्तावों के मुताबिक भ्रामक विज्ञापन देने से जुड़े अपराध में पहली बार दोषी पाए जाने पर 10 लाख रुपए का जुर्माना और दो साल जेल की सजा होगी। वहीं दोबारा या उसके बाद इसी अपराध के लिए दोषी पाए जाने पर जुर्माना बढ़कर 50 लाख रुपए और जेल की सजा पांच साल तक हो सकती है।
प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक ऐक्ट का दायरा बढ़ाकर डिजिटल ऐडवर्टाइजिंग, नोटिस, सर्कुलर, लेबल, रैपर, इनवॉइस, बैनर और पोस्टर समेत दूसरे माध्यमों को इसके अदंर लाया जाएगा। फिलहाल पहली बार गलत दावा करने पर 6 माह तक की कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है। इसके बाद दोबारा या कितनी भी बार गलत दावा करने पर एक साल तक अधिकतम कैद या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
फार्मास्युटिकल्स कंपनियां भ्रामक विज्ञापनों के जरिए अपनी दवाओं के प्रभाव और सुरक्षा को लेकर गलत जानकारी देती रही हैं, जिससे लोगों का स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाता है। ऐसी कंपनियों को भ्रामक विज्ञापन देने से रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक कमिटी का गठन किया था, जिसका उद्देश्य ऐसी कंपनियों और व्यक्तियों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने, भारी जुमार्ना लगाने और उनके शीर्ष मैनेजरों को जेल भेजने के लिए मौजूदा कानूनों में संशोधनों की सिफारिश करना था। कमिटी के सदस्य और हरियाणा के स्टेट ड्रग कंट्रोलर एन के आहूजा ने बताया, कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर भारी जुमार्ना लगाने का प्रस्ताव दिया गया है।
कमिटी के सदस्यों ने ऐडवर्टाइजमेंट की परिभाषा को भी कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट के मुताबिक बदलने का प्रस्ताव दिया है। मौजूदा कानून सिर्फ अखबारों में स्वास्थ्य से जुड़े गलत दावे देने पर रोक लगाते हैं, जबकि टीवी या इंटरनेट पर गलत दावों की समस्या से निपटने के लिए इनमें कोई प्रावधान नहीं हैं।
प्रस्तावित संशोधन के मुताबिक, 'विज्ञापन का अर्थ लाइट, साउंड, स्मोक, गैस, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, इंटरनेट या वेबसाइट के माध्यम से किया गया कोई भी आॅडियो या विजुअल प्रचार, नुमाइंदगी, समर्थन और ऐलान होगा। इसमें नोटिस, सर्कलुर, लेबल, रैपर, इनवॉइस, बैनर, पोस्टर या इस तरह के दूसरे डॉक्युमेंट जैसे माध्यम भी शामिल हैं। संशोधन में अच्छी भावना के साथ की गई कार्रवाई को कानूनी प्रक्रियाओं से बचाने के लिए भी एक प्रावधान को शामिल किया गया है।