MPPSC : भील जनजाति से संबंधित आपत्तिजनक सवाल प्रश्नपत्र से हटाए

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इंदौर
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MP PSC) ने एक बड़ा फैसला लेते हुए प्रारंभिक परीक्षा के प्रश्नपत्र में भील समुदाय को लेकर पूछे गए आपत्तिजनक सवाल हटा दिए हैं. बीते रविवार को एमपीपीएससी (MPPSC)) की प्रारंभिक परीक्षा में भील समाज के संबंध में आपत्तिजनक सवाल पूछा गया था, जिसके बाद पूरे प्रदेश में बवाल मच गया था. उसी को देखते हुए आयोग को पीछे हटना पड़ा और इन सभी सवालों को विलोपित (हटा देना) करने की अधिसूचना जारी कर दी गई. आयोग की एक महत्वपूर्ण बैठक में यह फैसला लिया गया. भील समुदाय से जुड़े पांचों प्रश्नों को हटाने का निर्णय लिया गया. हालांकि, सरकार इस पूरे मामले की जांच भी करा रही है

मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग के पेपर में भील जनजाति को लेकर पूछे गए सवाल पर बवाल बढ़ गया था. बीजेपी ने मंगलवार को प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किया, जिसमें सभी जिलों में राज्यपाल के नाम कमिश्नर और कलेक्टर को ज्ञापन देकर जिम्‍मेदार लोगों पर कार्रवाई की मांग की थी. आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जय आदिवासी युवा संगठन ने इंदौर डीआईजी रुचिवर्धन मिश्र से मिलकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ एट्रोसिटी एक्ट में मामला दर्ज करने की मांग की थी. जयस ने इस मामले में पूरे प्रदेश में सड़क पर उतरकर आंदोलन की चेतावनी भी दी थी. युवा संगठन ने MPPSC के चेयरमैन भास्कर चौबे और सचिव रेणु पंत को तत्काल बर्खास्त करने की मांग की थी.

प्रश्‍नपत्र के एक पैसेज में भील जनजाति को शराब में डूबी हुई और धन कमाने के लिए गैर वैधानिक और अनैतिक कामों में लिप्त रहने वाली जनजाति बताया गया था. इसे लेकर भील समाज में नाराज़गी है. लगातार प्रदर्शन के साथ MPPSC के चेयरमैन भास्कर चौबे और सचिव रेणु पंत को हटाने की मांग की जा रही है. यही कारण था कि आयोग की ओर से आनन-फानन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी, जिसमें आयोग के अध्यक्ष भास्कर चौबे ने सफाई देते हुए कहा था कि हमारे पास सीलबंद पैकेट में प्रश्नपत्र आते हैं. उन्‍होंने कहा था कि आयोग की अपनी सीमाएं हैं और नियमों के तहत जो भी कार्रवाई होगी वो की जाएगी. इसमें एक आदमी पेपर सेट करता है फिर मॉडरेटर उसे चेक करता है, फिर वह प्रेस में छपने जाता है. इस मामले में पेपर सेट करने वाले और मॉडरेटर दोनों को नोटिस जारी कर 7 दिन में जबाव मांगा गया है. साथ ही दोनों को ब्लैकलिस्ट भी कर दिया गया है

जांच का आदेशइस मामले में खुद सीएम कमलनाथ ने जांच के आदेश दिए थे. उच्च शिक्षा मंत्री जीतू पटवारी ने कहा कि आदिवासी समाज का सरकार सम्मान करती है और जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. आदिवासी समाज से जुड़े इस मामले के सामने आने के बाद प्रदेश के सीएम कमलनाथ ने भी इस पर संज्ञान लिया था. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि इस निंदनीय कार्य के लिए निश्चित तौर पर दोषियों को दंड मिलना चाहिए.

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