होता रहे प्रदूषण, हम करेंगे स्वपोषण 

0

जोगी एक्सप्रेस 

शहडोल,अखिलेश मिश्राप्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय में पदस्थ अधिकारी और मैदानी अमला अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है। जिले में बड़े पैमाने पर वातावरण को दूषित कर रहे उद्योगों पर बोर्ड के अमले की कोई पकड़ नहीं है, सिर्फ खानापूर्ति और लेनदेन में समय व्यतीत किया जा रहा है। यूं तो संभाग मुख्यालय मेंं कार्यालय स्थापित होने के बाद मुख्यालय सहित पूरे जिले व संभाग में प्रदूषण नियंत्रण की उम्मीदें जताई जा रही थी लेकिन समय बीतने के साथ ही एक-एक कर सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया। पीसीबी कार्यालय में पदस्थ वैज्ञानिक या इंजीनियर डींगें तो बड़ी लंबी-चौड़ी हांकते हैं लेकिन मैदानी हकीकत यह है कि कार्यवाही के नाम पर न सिर्फ स्थानीय जनमानस बल्कि वरिष्ठ कार्यालय को भी धोखा दिया जा रहा है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण ध्वनि प्रदूषण का मामला है।

निरंतर बढ़ रहा प्रदूषण

एनजीटी एवं सुप्रीम कोर्ट द्वारा डीजे के इस्तेमाल पर पूर्ण पाबंदी लगाई गई है, इसके अलावा प्रेशर हार्न भी प्रतिबंधित है। लेकिन शहडोल पीसीबी कार्यालय न तो डीजे पर अंकुश लगा पा रहा है और ना हीं प्रेशर हॉर्न पर पाबंदी की दिशा में अब तक कोई भी कार्यवाही की जा सकी है। ध्वनि प्रदूषण के साथ ही संभाग मुख्यालय मेंं जहां-तहां फैली गंदगी, सड़ांध मारती नालियां, जगह-जगह लगे कचरे के ढेर पर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की निगाह कभी नहीं पड़ी और ना ही बोर्ड के अधिकारी कर्मचारियों ने नगरीय निकाय या जिला प्रशासन को इस समस्या के समाधान के बारे में कोई सुझाव अथवा निर्देश देने की आवश्यकता महसूस की। परिणाम स्वरुप शहरवासियों को ध्वनि के साथ ही वायु प्रदूषण का भी सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण जन स्वास्थ्य की स्थिति दिनोंदिन बद से बदतर होती चली जा रही है।

लोगों का जीना दूभर

पीसीबी का कार्यालय जब ओपीएम मेंं था तब तो लोगों को इसलिए इस कार्यालय से उम्मीद नहीं थी कि उसे ओपीएम का पिंकू  माना जा रहा था, लेकिन अब जबकि कार्यालय संभाग मुख्यालय में आ चुका है तो लोगों की उम्मीदें बढऩा स्वाभाविक है। यह बात दीगर है कि पीसीबी कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी ओपीएम और रिलायंस जैसे बड़े उद्योगों की गुलामी की मानसिकता से अब तक नहीं उबर सके हैं। जिलेभर में सैकड़ों की तादाद में ईट भट्टे  सुलग रहे हैं जहां चोरी का कोयला, मिट्टी और रेत बड़े पैमाने पर खप रहे हैं। इससे प्रदूषण भी फैल रहा है और स्थानीय रहवासियों के जीवन के प्रति गंभीर खतरा भी बना हुआ है। लेकिन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अमले को आज तक न तो धधक रहे ईंट भट्टे  दिखे और ना ही कुकुरमुत्तों की तरह उग आए स्टोन क्रेशर और फ्लाईऐश ब्रिक्स इंडस्ट्रीज पर ही नजर पड़ी। नतीजा यह हुआ कि लोगों ने गांव ही नहीं मोहल्ले के अंदर ही उद्योग स्थापित कर लिया और लोगों का जीना दूभर कर दिया।

दोषियों को अभयदान

शहर के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड कार्यालय मेंं वरिष्ठ अधिकारियों को तैनात किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अनियमितता अथवा पर्यावरण प्रदूषण को लेकर कर्तव्य के प्रति लापरवाही को कारगर तरीके से रोका जा सके। वरिष्ठ अधिकारियों ने जिम्मेदारी तो ले ली लेकिन उसे निभा नहीं पा रहे हैं। कतिपय चाटुकारों के चंगुल में फंस चुके पीसीबी कार्यालय मेंं आए दिन चाटुकारों का जमावड़ा लगा रहता है। यही वजह है कि जिन लोगों के विरुद्ध प्रदूषण फैलाने के मामले में कार्यवाही होनी चाहिए उन्हें अभयदान मिल जाता है और साथ ही कार्यालय मेंं बैठे अधिकारी-कर्मचारियों को बिना कुछ किए ही अपनी छिटपुट जरूरतों से निजात मिल जाती है।

सीएस से हुई शिकायत

गुरुवार को मध्य प्रदेश शासन के मुख्य सचिव बसंत कुमार सिंह के शहडोल प्रवास पर पत्रकारों द्वारा पीसीबी कार्यालय, परिवहन कार्यालय एवं आदिम जाति कल्याण विभाग के कार्यालय में बड़ी तेजी के साथ बढ़ रहे भ्रष्टाचार और अधिकारी-कर्मचारियों की धन लिप्सा को लेकर सवाल भी उठाए गए। जिसमें मुख्य सचिव द्वारा मामले को संज्ञान में लेते हुए इसकी जांच कराने की बात भी कही गई, लेकिन सवाल यह उठता है कि अपने पद और दायित्व को नजरअंदाज कर स्वहित साधने में जुटे पीसीबी के मैदानी हमले की कारगुजारियों पर कब अंकुश लग पाएगा।

रिपोर्टर :अखिलेश मिश्रा 

मोबाइल :9993472304

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *