काशी के ज्योतिषी का आंकलन, पंचग्रही योग के कारण मची है भारत समेत दुनिया में उथल-पुथल

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वाराणसी  
पंचग्रही योग के कारण पूरी दुनिया में अशांति मची है। 26 दिसंबर को लगे सूर्य ग्रहण का भी इस उथल पुथल में विशेष योगदान है। काशी के प्रकांड विद्वान डॉ नागेन्द्र पांडेय ने का कहना है कि 26 दिसम्बर लगे सूर्यग्रहण के प्रभाव से अगले छह महीने तक उथल पुथल रहेगी। 

सूर्य ग्रहण के कारण अमेरिका- ईरान के बीच युद्ध के हालात हैं और देश में भी शांति प्रभावित हो रही है। मौसम भी असामान्य हुआ। ओला, कोहरा, धुंध, बारिश के चलते कृषि की भारी क्षति झेलनी पड़ रही है। सूर्यग्रहण के समय पांच ग्रह सूर्य, बुध, गुरु, शनि एवं केतु एक साथ आ गए। पांच ग्रहों का मिलन अशुभकारी है।

बुध की राशि 12 जनवरी को परिवर्तित होगी जबकि 15 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करेगा। तब कुछ सामान्य स्थिति बन पाएगी। तभी मौसम में भी सुधार होगा। केतु अभी अपनी राशि में बैठा है। यह अधिक अशुभकारी है। 

एक सुखद संयोग यह बन रहा है कि माघ की प्रतिपदा शनि को पड़ रही है। प्रतिपदा के प्रभाव से स्थितियों में और बदलाव होगा। रबी  फसल पर भी इसका अनुकूल प्रभाव होगा। धन-धान्य की हानि कम होती जाएगी।  

ज्योतिषियों के अनुसार जब किसी घर में पांच ग्रह एक साथ आ जाते हैं तब पंचग्रही योग का निर्माण होता है। जिस घर में होता है उसके प्रभाव को बढ़ाता है। व्यक्तियों पर पंचग्रही योग लाभदायक भी होता है। लेकिन हर तरह का पंचग्रही योग शुभ नहीं होता है। इनका प्रभाव विपरीत होता है। इसके चलते परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

 अमूमन बनने वाले पंचग्रही योग शुभ होते हैं। लेकिन कभी कभार ग्रह कुछ ऐसी स्थिति व संयोग से बन जाते हैं जिससे मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। ज्योतिषियों का मत है कि पंचग्रही योग यदि बुध के बिना व राहु या केतु में से किसी एक ग्रह की उपस्थिति में बने तो यह काफी लाभदायक साबित होता है। पंचग्रही योग में यदि शुभ ग्रहों की उपस्थिति अधिक हो व पाप ग्रह कम हों तो ये बहुत ही अच्छा परिणाम देने वाला होता है। परंतु पाप ग्रह ज्यादा व शुभ ग्रह कम हो तो यह कुछ खास लाभ नहीं देता है। इसके विपरीत हानि का सामना करना पड़ सकता है।

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