सत्य है मृत्यु फिर भी भयग्रस्त है मनुष्य – दीदी मंदाकिनी

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रायपुर
सृष्टि में मृत्यु शाश्वत सत्य है फिर भी भयग्रस्त है मनुष्य। एक न एक दिन सबको मृत्यु आनी ही है। सारे संशयों का निर्मूलन कथा में हैं। इतनी शक्ति है कि मृत्यु का भय भी समाप्त करा देती है। राजा परिक्षित भी इसी संशय में था लेकिन कथा सुनते ही उनका भी भ्रम दूर हो गया। संसाररूपी चक्रव्यूह में आखिर मनुष्य फंस ही जाता है, इससे निकलने का मार्ग कथा से ही मिलता है। माताएं यदि गर्भावस्था का 9 माह संभाल लेती हैं तो उनका 90 साल सुधर जायेगा।

गुरुतेगबहादुर भवन सभागार में श्री राम कथा सत्संग में मानस मर्मज्ञ दीदी मंदाकिनी ने बताया कि ईश्वर ने अपने सारे सूत्रों, सिद्धांतों को अपनी लीलाओं में चरितार्थ करके दिखाया है, उसके बाद ही उपदेश दिया है। सही उपदेशक का यही दायित्व भी है। लेकिन आज के उपदेशक बगैर जाने-समझे उपदेश दे देते हैं और लोग इनसे ही भटक जाते हैं। दिशाविहीन हो रही हमारी भावी पीढ़ी का कौन करेगा सही मार्गदर्शन, हृदय में उतपन्न हो रहे संशय के चलते वे अवसादग्रस्त हो रहे हैं और एक असफलता क्या मिली आत्महत्या करने तक तत्पर हो जा रहे हैं। अत्यंत कुशल वैद्य भी है रामचरित मानस, हर प्रकार का मार्गदर्शन करने में वह सामर्थ्य है। सनातन धर्म का जीवन दर्शन है।

प्रसंगवश उन्होंने बताया कि हनुमानजी महाराज ने भगवान से विनती कर ली कि वे मृत्युलोक में ही रहना पसंद करेंगे इसलिए कि जहां-जहां आपकी कथा होगी आप वहां रहेंगे और मै भी अवश्य वहां पहुंचुगा। आपकी कथा कभी खत्म होने वाली नहीं हैं। यह राम कथा की प्रियता है। जो समुद्र को घड़े में उतार सकता है वही कथा है। कथा में जाना या कथा सुनना धर्म है बड़ा सवाल है, लेकिन इतना जरूर जाने की संसाररूपी चक्रव्यूह से भगवान की कथा ही आपको बाहर निकाल सकती है। सारे संशयों का निर्मूलन आपको कथा में मिलेगी। जीवन में सफलता प्राप्त करने के सारे गुर इसमें प्राप्त होते हैं।

9 माह संभाल लें तो 90 साल संभल जायेगा
दीदी मंदाकिनी ने माताओं-बहनों से आग्रह किया है कि हम अपने बच्चों को संस्कारविहीन होने का दोषारोपण करते हैं जो पूरी तरह से गलत है। यदि 9 माह गर्भावस्था के समय में आप अपने आचरण, व्यवहार, रहन-सहन, खान-पान को सुधार लेते हैं और सनातन धर्म की मयार्दाओं का पालन करते हैं, तो वे व्यासपीठ से दावा करती हैं कि 9 माह संभाल लिया तो 90 साल संभल जायेगा। न आप दुखी होंगे और न आपका बच्चा।

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